कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में लापरवाही का इल्जाम लगाने वाली मेडिकल जर्नल लैंसेट (The Lancet) की रिपोर्ट पर अब एक्सपर्टों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि यह रिपोर्ट सरकार की छवि खराब करने के खास इरादे से जारी की गई.
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में लापरवाही का इल्जाम लगाने वाली मेडिकल जर्नल लैंसेट (The Lancet) की रिपोर्ट पर अब एक्सपर्टों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. एक्सपर्टों ने इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताते हुए जागरूकता भरा कदम नहीं उठाने के आरोपों को खारिज किया है.
मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर (Tata Memorial Center) के कैसर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी (Professor Pankaj Chaturvedi) ने कहा कि सरकार ने कोविड को लेकर काफी पहले एक पोर्टल लांच कर दिया था. महामारी का लगातार फैलने का कारण वायरस का लगातार म्यूटेंट होना है. प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि लैंसेट (The Lancet) की रिपोर्ट पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने मेडिकल जर्नल लैंसेट में लगाए गए सभी आरोपों को बिंदुवार जवाब भी दिया है.
प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी (Professor Pankaj Chaturvedi) ने कहा कि भारत में मृत्यु दर बेहद कम है. अमेरिका की जनसंख्या 0.3 अरब है और कोविड की वजह से वहां 3 लाख लोगों की मौत हुई है. ब्राजील की जनसंख्या 0.2 अरब है और कोविड की वजह से वहां 10 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है. ब्रिटेन में 0.6 अरब की आबादी में कोरोना से मरने वालो की संख्या 1, 27, 000 है.
इसी तरह फ्रांस की कुल अबादी 0.6 अरब है जबकि कोविड से मरने वालो की संख्या 10,6493 है. इसकी तुलना में भारत की कुल जनसंख्या 1.3 अरब है जबकि यहां कोविड से 2, 62 000 लोगों की जान गई है. संभव है कि ये आकड़ा बढ़ सकता है लेकिन हालात पर सरकार का पूरा नियंत्रण है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में मृत्यु दर केवल 1.1 फीसदी है जो अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, इटली और जर्मनी से कहीं कम है.
प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी (Professor Pankaj Chaturvedi) का मानना है कि भारत में वैक्सीनेशन काफी देर से शुरू किया गया, लेकिन इसने कई देशों को पछाड़ दिया है. प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि अमेरिका में वैक्सीनेशन 14 दिसंबर 2020 से शुरू हुआ था. वहां 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है.
ब्रिटेन ने 21 दिसंबर 2020 से शुरू किया और अबतक 5.3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. आस्ट्रेलिया ने 22 फरवरी से शुरू किया और 20 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. भारत में 16 फरवरी को वैक्सीन लगने की शुरूआत हुई और अभी तक 18 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है.
प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी (Professor Pankaj Chaturvedi) के मुताबिक अमेरिका, फ्रांस, इटली जैसे देशों में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं हैं लेकिन वहां ही सबसे ज्यादा मौतें हुई. जबकि में हालात नियंत्रण में रहे. प्रोफेसर चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में कई राज्य दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं थे. केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं है लेकिन यहां के लोगों ने सबसे अधिक संकट का सामना किया.
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मेडिकल जर्नल लैंसेट (The Lancet) में कुंभ को सुपर स्प्रेडर बताया गया है. प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी (Professor Pankaj Chaturvedi) का कहना है कि पूरा कुंभ 150 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ था. करीब 20 लाख लोग जनवरी से लेकर अप्रैल के बीच यहां पहुंचे थे. एक दिन में 3.5 लाख लोग भी कुंभ में पहुंचे लेकिन डेंसिटी के लिहाज से एक किलोमीटर में अधिकतम 23 हजार लोग ही मौजूद थे. इससे अधिक लोग मुंबई और दिल्ली के कई इलाकों में रहते हैं. धारावी में तो 277136 लोग प्रति स्कावयर किलोमीटर में रहते हैं.
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बताते चलें कि कोरोना के नियंत्रण में भारत सरकार के प्रयासों को कमतर बताने वाली मेडिकल जर्नल लैंसेट (The Lancet) ने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह से भारत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए आधी-अधूरी तैयारी की. रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार कोरोना की रोकथाम के बदले सिर्फ ट्विटर के जरिये आलोचनाओं का जबाव देने में व्यस्त थी.
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