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Rameswaram to Dhanushkodi Railway Line: 60 साल पहले 1964 में आई भीषण तबाही मचाने वाली सुनामी ने तमिलनाडु में रामेश्वरम और धनुषकोडी रेल लिंक को बर्बाद कर दिया था. अब सरकार इसे बहाल करने की तैयार में जुट गई है. यह रेल लाइन दक्षिण रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा. यह खास इसलिए है क्योंकि इसका भगवान श्री राम से गहरा नाता है. दावा किया जाता है कि धनुषकोडी में ही भगवान श्री राम ने विभीषण को श्रीलंका सौंपी थी. आइये आपको इस रेल लाइन से जुड़ी और रोचक बातों के बारे में बताते हैं.
कई महत्वपूर्ण रेलवे परियोजनाओं के पूरा होने के बाद दक्षिण रेलवे तमिलनाडु में रामेश्वरम और धनुषकोडी को रेल लिंक से जोड़ने के लिए तैयार है. इस पूरा करने में 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी. रेल मंत्रालय को जोनल कार्यालय द्वारा भेजे गए नए प्रस्ताव के अनुसार रामेश्वरम और धनुषकोडी को एक बार फिर से रेलवे लाइन से जोड़ा जाना है, जिससे रामेश्वरम आने वाले पर्यटकों को धनुषकोडी पहुंचने के लिए एक आसान विकल्प उपलब्ध कराया जा सके.
मदुरै मंडल के मंडल अभियंता हृदयेश कुमार ने कहा कि 1964 में आई सुनामी के कारण यह रेलवे लाइन नष्ट हो गई थी. अब सरकार ने इसे फिर से बनाने का प्रस्ताव दिया है. नए प्रस्ताव के तहत 18 किलोमीटर की लाइन में जमीन से 13 किलोमीटर का एलिवेटेड ट्रैक होगा. इस स्टेशन का पर्यटन और धार्मिक दोनों ही महत्व है और इसलिए यह पर्यटन को आकर्षित करता है.
नई रेल लिंक योजना के बारे में बात करते हुए, मदुरै डिवीजन के सहायक कार्यकारी अभियंता आनंद ने कहा कि रेलवे की योजना इस स्टेशन के पुनर्विकास और इसे नई ब्रॉड गेज और इलेक्ट्रिक लाइन से जोड़ने की है. यह रामेश्वरम से 18 किमी की लाइन होगी और इसमें 3 पड़ाव होंगे. स्टेशन और एक टर्मिनल स्टेशन. हमें उम्मीद है कि यहां भी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. हम रामेश्वरम स्टेशन का पुनर्विकास कर रहे हैं.
भौगोलिक रूप से, धनुषकोडी पंबन द्वीप की नोक पर है. धनुषकोडी विशेष रूप से दिसंबर 1964 तक एक लोकप्रिय स्टेशन था, जो सीधे तमिलनाडु में मंडपम स्टेशन से जुड़ा था. उस समय, धनुषकोडी स्टेशन श्रीलंका में सीलोन और भारत में मंडपम के बीच संपर्क का एक महत्वपूर्ण केंद्र था. उस वक्त एक ट्रेन भी बोट मेल के नाम से चलती थी. लेकिन, यह पूरा रेल लिंक 22-23 दिसंबर 1964 को आई सुनामी में नष्ट हो गया था. उस दौरान ट्रेन के कर्मचारियों सहित सैकड़ों यात्रियों की मौत हो गई थी. उसके बाद से धनुषकोडी को रेल लिंक से जोड़ने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
1964 में विनाशकारी सुनामी ने रामेश्वरम और धनुषकोडी रेल लिंक को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था. अब यहां लोग सड़क मार्ग से बर्बाद शहर, खूबसूरत बीच को देखने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं. यह भारत के प्रमुख और सुंदर समुद्र तटों में से एक है. ऊंची लहरों के कारण यहां पानी में उतरना थोड़ा जोखिम भरा है, लेकिन बस जगह की सुंदरता का अनुभव करना और साफ रेत पर चलना, अपने आप में एक शानदार अनुभव है.
यह स्थान अपने पौराणिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने लक्षमण, हनुमान और उनकी वानर सेना ने रावण के भाई विभीषण के साथ मिलकर तैरते पत्थरों का उपयोग करके एक पुल का निर्माण किया था. इस पुल यानी राम सेतु ने उन्हें सीता को रावण से छुड़ाने के लिए लंका पहुंचने में मदद की थी. लंका से विजयी होकर लौटने के बाद, नए राजा विभीषण ने राम से पुल को नष्ट करने के लिए कहा. तो, राम ने धनुष के एक छोर का उपयोग कर पुल को तोड़ दिया और इस जगह को अपना नाम दिया.
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