भारत के अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-16 को अंतत: फ्रेंच गुआना के कौरो स्पेस सेंटर से रविवार तड़के दो बजे के करीब सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर दिया गया। लगातार दो बार की असफलताओं के बाद तीसरी कोशिश में वैज्ञानिकों ने इस सैटेलाइट को लॉन्च करने में सफलता पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर पोस्ट में इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
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बेंगलुरु : भारत के अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-16 को अंतत: फ्रेंच गुआना के कौरो स्पेस सेंटर से रविवार तड़के दो बजे के करीब सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर दिया गया। लगातार दो बार की असफलताओं के बाद तीसरी कोशिश में वैज्ञानिकों ने इस सैटेलाइट को लॉन्च करने में सफलता पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर पोस्ट में इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
GSAT-16 इसरो द्वारा विकसित किसी संचार उपग्रह पर ट्रांसपोंडरों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस सेटेलाइट का वजन 3,181.6 किलोग्राम है और इस पर कुल 48 संचार ट्रांसपोंडर लगे हैं। इस उपग्रह को कक्षा में स्थापित किए जाने से सरकारी और निजी टेलीविजन चैनलों, रेडियो सेवाओं, इंटरनेट और टेलीफोन ऑपरेशन में सुधार होगा।
मालूम हो कि ट्रांसपोंडरों की क्षमता में कमी के कारण इसरो ने विदेशी उपग्रहों से 95 ट्रांसपोंडरों को लीज पर लिया हुआ है और इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से निजी टेलिविजन प्रसारकों के लिए किया जाता है। सेटेलाइट लॉन्चिंग के दौरान जीसैट के साथ एरियान 5 पर डायरेक्टवी-14 भी रहा। इसका निर्माण स्पेस सिस्टम ने किया है और इसका मकसद अमेरिका में डायरेक्ट टू होम टेलीविजन प्रसारकों को इसकी सेवा उपलब्ध कराना है।
अपने बधाई संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा है, 'कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-16 हमारे स्पेस प्रोग्राम में अहम साबित होगा। वैज्ञानिकों को सफल लॉन्चिंग की बधाई।' इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, 'जीसेट-16 को फ्रेंच गुआना से सात दिसंबर को भारतीय समयानुसार तड़के दो बजकर 10 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया।'