अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पेट्रोल पंप पर काम करती है यह महिला
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पेट्रोल पंप पर काम करती है यह महिला

बबिता और ललिता की कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में पुरुषों के साथ पेट्रोल पंप पर काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसा करके ये दोनों आस पास की लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. 

बबिता और ललिता ने अपने परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए पेट्रोल पंप पर काम करना शुरू किया.

धार: शहरी महिलाएं हों या ग्रामीण, कामकाजी महिला हों या गृहिणी सभी को अपने जीवन में चुनौतियों का समना करना पड़ता है. फिर भी महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी महिलाओं से रू-ब-रू करा रहे हैं जिन्होंने जीवन की चुनौतियों का सामना किया और समाज में अपनी अलग पहचान बनाई. इसी कड़ी में हम आपको मिलवा रहे हैं मध्य प्रदेश के धार जिले में पेट्रोल पंप पर तैनात दो महिलाओं बबिता और ललिता से. बबिता और ललिता की कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में पुरुषों के साथ पेट्रोल पंप पर काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसा करके ये दोनों आस पास की लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. 

  1. बबिता अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पेट्रोल पंप पर काम कर रही है
  2. ललिता पेट्रोल पढ़ाई के साथ काम भी करती है
  3. अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस पर महिलाओं के साहस की कहानी

''बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती थी''
बबिता की 6 साल पहले शादी हुई थी. पति किशोर एक निजी कंपनी में काम करते हैं. उनके दो बच्चे हैं. किशोर की तनख्वाह इतनी नहीं है कि परिवार का पेट पालने के बाद वह बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें. अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और अच्छी परवरिश देने के लिए बबिता ने नौकरी करने का मन बनाया.  
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परिवार और पति का साथ मिला
बबिता बताती हैं कि काम करने के उनके फैसले को पति का समर्थन तो मिल गया लेकिन परिवार वालों को यह ठीक नहीं लगा और उन्होंने बाहर जाकर काम करने से मना कर दिया. काफी समझाने के बाद वो राजी हो गए. फिर क्या था, पेट्रोल पंप पर काम करने का ऑफर आया और मैंने हां कह दी. करीब हफ्ते भर की ट्रेनिंग के बाद मैंने काम करना शुरू कर दिया. बबिता कहती हैं कि मैं ढाई साल से इस पेट्रोल पंप पर काम कर रही हूं. मेरे बच्चे अब अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं. परिवार और गांव के लोगों में मेरा रुतबा भी बढ़ गया है.  

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पढ़ाई के साथ कमाई भी
बबिता के साथ ही ललिता भी गाड़ियों में पेट्रोल भरने का काम करती है. वह धार के पीजी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई भी कर रही है. ललिता ने बताया कि वह सैलरी का कुछ हिस्सा अपने घर भेजती है और बाकी से पढ़ाई और अपना खर्च चलाती है. उसका सपना है कि एक दिन वह बड़ी अधिकारी बने. 
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''लड़कों से कम नहीं लड़कियां''
ललिता और बबिता कहती हैं कि उन्हें पेट्रोल पंप के स्टाफ का भी काफी सहयोग मिलता है. वहीं, पेट्रोल पंप के मैनेजर गोपाल धथेलिया का कहना है कि हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि ये लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम हैं. वो कहते हैं कि वाहनों में पेट्रोल भरना हो या राशि का लेन-देन महिलाएं अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं.  

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