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नई दिल्ली: राजस्थान के सीकर की रहने वाली प्रीति चंद्रा (Preeti Chandra) बीकानेर में एसपी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं और वह बीकानेर की पहली महिला एसपी हैं. प्रीति चंद्रा की पहचान दबंग और दमदार ऑफिसर के रूप में होती है. वह जहां भी अपनी सेवा देती हैं, वहां अपराधी उनके नाम से ही थर-थर कांपते हैं. करौली की एसपी रहते हुए प्रीति चंद्रा का खौफ इतना ज्यादा था कि कई डकैतों ने सरेंडर कर दिया था.
साल 1979 में सीकर जिले के कुंदन गांव में जन्मीं प्रीति चंद्रा (Preeti Chandra) ने आईपीएस अफसर बनने से पहले स्कूल टीचर थीं. इससे पहले वह पत्रकार बनना चाहती थीं, लेकिन एमफिल करने के बाद उन्होंने स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया. हालांकि उनके मन में कुछ बड़ा करने का जुनून था और फिर उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी.
प्रीति चंद्रा (Preeti Chandra) ने प्राशसनिक सेवा में आने के लिए कड़ी मेहनत की और पहले प्रयास में ही यूपीएससी एग्जाम क्लियर कर लिया. बिना किसी कोचिंग के प्रीति ने साल 2008 में पहली बार में ही यूपीएससी पास किया और आईपीएस अधिकारी बन गईं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएस अधिकारी बनने के बाद प्रीति चंद्रा (Preeti Chandra) की पहली पोस्टिंग राजस्थान के अलवर में हुई और वह एसएसपी बनीं. इसके बाद उन्होंने बूंदी में एसपी और कोटा एसीबी में एसपी पोस्ट पर काम किया. इसके बाद उनका ट्रांसफर करौली में एसपी के पद पर हुआ और इस समय वो बीकानेर में एसपी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. इसके अलावा प्रीति चंद्रा जयपुर मेट्रो कॉर्पोरेशन के पुलिस उपायुक्त के पद पर भी अपना सेवा दे चुकी हैं.
प्रीति चंद्रा (Preeti Chandra) जब करौली में पोस्टेड थीं तब उन्होंने अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कई बड़े काम किए और एसपी के तौर पर प्रीति ने इतना भय बैठाया कि कई डकैतों ने सरेंडर कर दिया. करौली बीहड़ से लगा हुआ है और इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में डकैत थे, जो आए दिन हमले करते थे. इन पर काबू पाने के लिए आईपीएस प्रीति चंद्रा अपनी टीम के साथ चंबल के बीहड़ों में उतर जाती थी.
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बूंदी में पुलिस अधीक्षक (SP) रहते हुए प्रीति चंद्रा (Preeti Chandra) ने राजस्थान में बच्चियों को देह व्यापार में धकेलने वाले गिरोह का खुलासा किया था और कई आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया था. उन्होंने खुद कई ठिकानों पर पहुंचकर कार्रवाई को अंजाम दिया और देह व्यपार के नरक से कई नाबालिग लड़कियों को बाहर निकाला था. इसके बाद वह काफी चर्चा में आ गई थीं और इसी वजह से उनका नाम लेडी सिंघम भी पड़ा था.