Amazon का भारत में गैरकानूनी काम, खुलेआम बेच रहा गांजा; जानें इसे लेकर क्या है कानून
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Amazon का भारत में गैरकानूनी काम, खुलेआम बेच रहा गांजा; जानें इसे लेकर क्या है कानून

Amazon Weed Case: NDPS एक्ट 1985 की धारा 38 के मुताबिक, अगर कोई क्राइम किसी कंपनी द्वारा किया गया है तो वहां का हर शख्स जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कंपनी के कारोबार के संचालन के प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कंपनी भी, दोनों उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे.

प्रतीकात्मक फोटो | साभार- PTI

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड (Bhind) जिले में ऑनलाइन गांजा बेचने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने शनिवार को एएसएसएल अमेजन (ASSL Amazon) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज किया. पुलिस ने मामले में E-Commerce कंपनी ASSL Amazon को भी आरोपी बनाया है. पुलिस की प्रेस रिलीज के अनुसार, 13 नवंबर को भिंड के गोहद चौराहा थाना इलाके में 21 किलो 734 ग्राम गांजा बरामद हुआ था. ये गांजा छीमका के रहने वाले पिंटू और आजाद नगर के रहने वाले सूरज के पास से बरामद किया था. पुलिस ने इस मामले में अन्य आरोपी मुकुल जायसवाल को ग्वालियर से और गांजा की खरीददार चित्रा बाल्मीक को मेहगांव से गिरफ्तार किया था.

  1. एएसएसएल अमेजन के खिलाफ कार्रवाई
  2. गांजा की बिक्री को लेकर कानून
  3. NDPS एक्ट के तहत केस हुआ दर्ज

ASSL अमेजन के खिलाफ केस दर्ज

पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि आरोपी सूरज और मुकुल जायसवाल ने Babu Tex नामक एक फर्जी कंपनी बनाई थी. फिर ASSL अमेजन कंपनी में सेलर के रूप में अपनी कंपनी को रजिस्टर करवाया. इसके बाद ये लोग Stevia के रूप में विशाखापट्टनम से गांजे की सप्लाई अपने ग्राहकों को तय जगहों पर करवाते थे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि ASSL अमेजन कंपनी के कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ NDPS एक्ट 1985 की धारा 38 के तहत केस दर्ज करके आरोपी बनाया गया है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले पर कहा कि अमेजन कंपनी के अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं. अगर ऐसा ही रहा तो उसके सीईओ और एमडी के खिलाफ कार्रवाई होगी.

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क्या कहता है कानून?

NDPS एक्ट 1985 की धारा 38 के अनुसार, अगर कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है तो वहां प्रत्येक व्यक्ति, जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कंपनी के कारोबार के संचालन के लिए उस कंपनी के प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कंपनी भी, दोनों उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे.

साल 1985 में भारत ने नारकोटिक्स और साइकोट्रॉपिक सब्सटैंस एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) में भांग के पौधे यानी कैनबिस के फल और फूल के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा था. लेकिन इसकी पत्तियों को नहीं. हालांकि कुछ राज्यों में भांग अभी भी अवैध है. उदाहरण के तौर पर आप असम को ही देख लीजिए, वहां भांग का इस्तेमाल गैर कानूनी है तो महाराष्ट्र में भांग को उगाना, रखना, इस्तेमाल करना या उससे बने किसी भी पदार्थ का सेवन बगैर लाइसेंस के करना गैर कानूनी है.

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भांग और गांजा में कितना फर्क?

दरअसल, भांग और गांजा एक ही प्रजाति कि पौधे से बनते हैं. ये प्रजाति नर और मादा के रूप में विभाजित (Divide) की जाती है, भांग नर प्रजाति से बनती है और गांजा मादा प्रजाति से बनता है. लेकिन गांजा और भांग को बनाने का तरीका भी काफी अलग है. दरअसल गांजा पौधे के फूल से तैयार किया जाता है और फिर इसे सुखाया जाता है. इसका धूम्रपान किया जाता है. स्मोकिंग की वजह से गांजा जल्दी नशा कराता है. वैसे कई लोग अलग तरीके से इसे खाने या पीने के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. ठीक वैसे ही भांग, जिस पौधे की पत्तियों से बनती है, उन्हें कैनेबिस की पत्तियां (Cannabis Indica) कहा जाता है और बीजों को पीसकर इसे तैयार किया जाता है. ऐसे में आसान भाषा में समझा जाए तो गांजा फूल से तैयार होता है और भांग पत्तियों से बनती है.

(इनपुट- प्रदीप शर्मा)

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