Chandrayaan-3: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने एक नया वीडियो जारी किया है, जिसमें रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर अठखेलियां करता नजर आ रहा है. यह वीडियो विक्रम लैंडर के कैमरे से बनाया गया है.
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Chandrayaan-3 Video: चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंचने के बाद रोवर प्रज्ञान अपने काम में जुटा हुआ है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) को कई अहम जानकारियां प्रज्ञान ने भेजी हैं. गुरुवार को रोवर प्रज्ञान का एक नया वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में प्रज्ञान किसी नटखट बच्चे की जगह चांद की सतह पर मौज-मस्ती करता नजर आ रहा है. इस वीडियो में प्रज्ञान गोल-गोल घूमता नजर आ रहा है. चंदामामा की गोद में जाकर प्रज्ञान के इस मस्ती भरे अंदाज को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
यह वीडियो 24 सेकंड का है. इसके कैप्शन में इसरो ने लिखा, 'सुरक्षित रास्ते की तलाश में रोवर को रोटेट किया गया. रोवर के घूमने का वीडियो लैंडर के कैमरा से बनाया गया है. ऐसा लगता है जैसे कोई बच्चा चंदामामा के आंगन में अठखेलियां कर रहा हो और मां उसको प्यार से देख रही हो. है ना? '
Chandrayaan-3 Mission:
The rover was rotated in search of a safe route. The rotation was captured by a Lander Imager Camera.It feels as though a child is playfully frolicking in the yards of Chandamama, while the mother watches affectionately.
Isn't it? pic.twitter.com/w5FwFZzDMp— ISRO (@isro) August 31, 2023
चांद पर मिला सल्फर
गौरतलब है कि प्रज्ञान पर लगे एक अन्य उपकरण ने भी एक अलग तकनीक का इस्तेमाल करके चांद के इलाके में गंधक (सल्फर) की मौजूदगी की पुष्टि की है. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (एपीएक्सएस) नाम के डिवाइस ने चंद्रमा पर गंधक के साथ-साथ अन्य छोटे तत्वों का भी पता लगाया है.
पोस्ट में कहा गया, चंद्रयान-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को क्षेत्र में गंधक (एस) के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के को मजबूर करती है. आंतरिक?, ज्वालामुखीय?, उल्कापिंड??.
चांद की खोजबीन कर रहा प्रज्ञान
छब्बीस किलोग्रम वजनी, छह पहियों वाला और सोलर एनर्जी से चलने वाला प्रज्ञान अपने वैज्ञानिक उपकरणों का इस्तेमाल करके यह पता लगाने का काम कर रहा है कि दक्षिणी ध्रुव वाले इलाके में चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानें किस चीज से बनी हैं.
इसरो ने एक बयान में कहा कि APXS डिवाइस चंद्रमा जैसे कम वायुमंडल वाले ग्रहीय पिंडों की सतह पर मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना के असली विश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त हैं.
इसमें रेडियोएक्टिव सोर्स होते हैं, जो सतह के नमूने पर अल्फा कण और एक्स-रे उत्सर्जित (emitted) करते हैं. नमूने में मौजूद परमाणु बदले में मौजूद तत्वों के मुताबिक खास एक्स-रे लाइंस उत्सर्जित (emitted) करते हैं. इन विशिष्ट एक्स-रे की ऊर्जा और तीव्रता को मापकर, रिसर्चर्स मौजूद तत्वों और उनकी संपन्नता का पता लगा सकते हैं.
एपीएक्सएस के ऑब्जर्वेशन्स ने एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और आयरन जैसे मुख्य अपेक्षित तत्वों के अलावा, गंधक समेत दिलचस्प छोटे तत्वों की मौजूदगी की खोज की है.
रोवर पर लगा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) डिवाइस पहले ही गंधक की मौजूदगी की पुष्टि कर चुका है. इन ऑब्जर्वेशन्स का डिटेल्ड साइंटिफिक एनालिसिस चल रहा है.