अब्दुल्ला ने कहा: "उनका परिवार अपने बच्चे के दुख से बाहर निकल नहीं पा रहा है, ख़ास तोर पर दुखी माता-पिता ख़ुद को इस दुःख से निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अल्लाह युवा आतिफ मीर को जन्नत में जगह दे."
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श्रीनगर: पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बांदीपोरा जिले के हाजिन इलाके में पोहनच कर मुठभेड़ में बंधक बने मासूम आतिफ़ के घरवालों का दुःख बंटा. 11 वर्षीय आतिफ मीर दो पाकिस्तानी लश्कर आतंकियों द्वारा बंधक बनाए जाने के बाद मार दिया गया था.
ऊमर ने लिखा "अभी मैं हाजिन से लोटा जहां मैं मासूम आतिफ की मौत पर शोक व्यक्त करने गया था. आतिफ एक 11 साल का लड़का था, जो अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था, जिसे पिछले सप्ताह आतंकवादियों ने बंधक बना लिया था.
Returning just now from Hajin where I had gone to condole the death of young Atif. Atif was an 11 year old boy, the only son of his parents, killed after he was taken hostage by militants last week.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 26, 2019
ऊमर ने ट्वीट कर आगे लिखा "एक पिता के लिए अपने छोटे बच्चे के ताबूद को कंधा देने से ज्यादा बुरा कुछ नहीं हो सकता है और एक मां के लिए अपने बच्चे की कब्र पर रोने से बुरा कुछ नहीं हो सकता है. कश्मीर में माता-पिता ने आज तक बहुत सहा है.”
His family are struggling to come to terms with their loss, especially his parents & 2 older sisters. May Allah grant young Atif Mir place in Jannat.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 26, 2019
अब्दुल्ला ने कहा: "उनका परिवार अपने बच्चे के दुख से बाहर निकल नहीं पा रहा है, ख़ास तोर पर दुखी माता-पिता ख़ुद को इस दुःख से निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अल्लाह युवा आतिफ मीर को जन्नत में जगह दे."
There can be nothing worse for a father than to lend shoulder to his young child’s coffin & nothing worse for a mother than to grieve at her young child’s grave. Kashmir has seen too much of this suffering heaped on parents.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 26, 2019
आतिफ मीर को दो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 23 मार्च को हाजिन के मीर मोहल्ले में सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी के दौरान बंधक बना लिया था. आतिफ़ के माता-पिता, गावों के बुजर्गों द्वारा बार-बार अपील करने के बावजूद, आतंकवादियों ने उस मासूम को रिहा नहीं किया. इस घटना की कश्मीर में हर वर्ग ने निंदा हुई.