BSF ने जवानों को परोसे जाने वाले खाने के परीक्षण का काम DRDO को सौंपा
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BSF ने जवानों को परोसे जाने वाले खाने के परीक्षण का काम DRDO को सौंपा

यह कदम तब उठाया गया है जब करीब सालभर पहले एक बीएसएफ जवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डालकर दावा किया था कि जवानों को पानी वाली दाल और जली हुई रोटियां खिलाई जाती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: भोजन की गुणवत्ता को लेकर सवालों के घेरे में आए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपने जवानों और अधिकारियों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता एवं मात्रा के परीक्षण का काम डीआरडीओ को सौंपा है. उसने संभावित खामियों को दूर करने के उपाय भी सुझाए हैं. यह कदम तब उठाया गया है जब करीब सालभर पहले एक बीएसएफ जवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डालकर दावा किया था कि जवानों को पानी वाली दाल और जली हुई रोटियां खिलाई जाती हैं.

'अपनी तरह का यह पहला कदम' 
बीएसएफ महानिदेशक के के शर्मा ने बताया कि एक संसदीय समिति की सिफारिश के बाद अपनी तरह का यह पहला कदम उठाया गया है. शर्मा ने कहा, ‘‘ हम बीएसएफ भोजनालयों में परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता परखने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला से अध्ययन करवा रहे हैं. उसके विशेषज्ञ खाना पकाने वाले कर्मियों, इस इकाई को चलाने वालों तथा इस भोजन को खाने वालों से बातचीत कर रहे हैं.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ वैसे तो अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन जो हमारी समझ में आया है वह यह है कि जवानों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता एवं मात्रा संतोषजनक से कहीं अच्छी है.’’ डीआरडीओ की मैसूर प्रयोगशाला यह अध्ययन कर रही है.

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों को अच्छा भोजन प्रदान करना न केवल उन्हें स्वस्थ रखने बल्कि उनका मनोबल ऊंचा रखने के लिए भी जरुरी है . उसने उन्हें परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता की परख के लिए उचित प्रणाली की सिफारिश की थी. शर्मा ने कहा कि जवान तेज बहादुर के खराब खाना परोसे जाने के दावे के बाद बीएसएफ ने आतंरिक जांच की और पाया कि खाने की गुणवत्ता एवं मात्रा कभी कोई मुद्दा ही नहीं रही.

(इनपुट - भाषा)

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