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Siddhu Moosewala Last Wish: सिद्धू मूसेवाला की मौत से युवाओं में काफी रोष है. इसकी वजह है कि मूसेवाला युवाओं के बीच काफी मशहूर थे. उनकी मौत ने लोगों को सदमे में तो डाला ही है साथ ही उनकी हत्या कई सवाल पीछे छोड़ गई है. अपने करियर के शिखर पर चढ़ता स्टार भरी जवानी में कैसे मारा जाता है, घटना के वक्त सिद्धू क्या कर रहे थे, ऐसे सभी सवालों के जवाब चश्मदीद गवाह ने ही दिए हैं.
बता दें कि गोलीबारी के वक्त मूसेवाला की थार में तीन लोग मौजूद थे. इसी थार में उनके साथी गुरविंदर सिंह भी थे. उनका भी अस्पताल में इलाज चल रहा है. ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धू मूसेवाला के दोस्त गुरविंदर ने पुलिस को बताया कि कार पर पहली बार गोलियों की बौछार होने के बाद उन्होंने भी हमलावरों पर दो गोलियां चलाई थीं.
गुरविंदर के मुताबिक उन्होंने अपनी पिस्तौल से दो बार फायरिंग की, लेकिन हमलावरों ने कार को तीनों तरफ से घेर लिया और गोलियां चलाईं. एक हमलावर ने असॉल्ट राइफल से सामने से फायरिंग की. इस दौरान मैं खुद को बचाने के लिए चकरा गया. उनके मुताबिक हमलावरों का फोकस सिद्धू पर था.
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गुरविंदर ने बताया, ‘जब हमला हुआ तो मूसेवाला अपनी मामी के घर जा रहे थे. उसने अपने सुरक्षाकर्मियों को साथ में नहीं लिया क्योंकि घर पास में ही था और थार कार पहले से ही भरी हुई थी.’
क्या थी सिद्धू की आखिरी फरमाइश?
गौरतलब है कि सिद्धू के गाने अक्सर युवाओं की गाड़ियों में बजते हैं. ऐसे में सिद्धू की गाड़ी में खुद उन्हीं का गाया हुआ गाना बज रहा था. गुरविंदर ने बताया कि हमले से पहले सिद्धू ने एक गाना बजवाया था, 'उठेगा जवानी विच जनाजा मिठिए.' हिंदी में इस गाने के बोल का मतलब है, 'जवानी में उठेगा जनाजा.' यह गाना खुद सिद्धू मूसेवाला का ही गाया हुआ है. इस गाने का नाम The Last Ride है जो कि दो हफ्ते पहले ही रिलीज किया गया था. सिद्धू की हत्या के वक्त भी गाड़ी में यही गाना बज रहा था.
सच हो गए सारे इत्तेफाक?
कहते हैं कि जब कुछ बुरा होता है तो उससे पहले संकेत भी मिलने लग जाते हैं. इसके कई संकेत अब लोग सोशल मीडिया पर ढूंढ कर लिख रहे हैं कि पहले से ही तय था कि ये सिद्धू का आखिरी दिन है. लोग सिद्धू के आखिरी गाने को सुनकर भी कई तरह की बातें कर रहे हैं. लिहाजा उनके आखिरी गाने का नाम 'द लास्ट राइड' ही है और थार में भी वो सिद्धू की लास्ट राइड ही थी. साथ ही यह भी बात गौर करने वाली है कि सिद्धू ने एक गाना '295' नाम से भी बनाया था और इत्तेफाक देखिए जिस दिन सिद्धू की हत्या हुई उस दिन तारीख भी 29 मई (29-5) ही थी. एक और बात जो कि उनके दोस्त गुरविंदर ने बताई कि उनकी हत्या के समय गाने के बोल भी जवानी में जनाजे वाले ही बज रहे थे.
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