अभिजीत गंगोपाध्‍याय: काला कोट उतार नेता बनने चले कलकत्ता HC के पूर्व जज, 'चोगा' बदलने वालों की लंबी है लिस्ट
Advertisement
trendingNow12142204

अभिजीत गंगोपाध्‍याय: काला कोट उतार नेता बनने चले कलकत्ता HC के पूर्व जज, 'चोगा' बदलने वालों की लंबी है लिस्ट

Justice Abhijit Gangopadhyay News: जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कलकत्‍ता हाई कोर्ट के जज का पद छोड़ दिया है. वह बीजेपी के रास्ते राजनीति में एंट्री करने वाले हैं. न्यायपालिका में रहने के बाद राजनीति में ताल ठोकने वाले वह पहले जज नहीं.

अभिजीत गंगोपाध्‍याय: काला कोट उतार नेता बनने चले कलकत्ता HC के पूर्व जज, 'चोगा' बदलने वालों की लंबी है लिस्ट

Judges Who Joined Politics: कलकत्‍ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेज दिया है. PTI के मुताबिक, इस्तीफे की एक कॉपी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और HC के चीफ जस्टिस टीएस शिवगंगनम को भी भेजी गई है. सोमवार (04 मार्च 2024) को HC में जस्टिस गंगोपाध्याय का आखिरी दिन था. उन्होंने रविवार को कहा था कि वह राजनीति में उतरेंगे. इस्तीफे के कुछ घंटे बाद, जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होंगे. BJP सदस्‍य बनते ही उनका नाम उन जजों की लिस्ट में जुड़ जाएगा तो राजनीति का हिस्सा बने. कई लोग जुडिशरी से पॉलिटिक्स में तो कई पॉलिटिक्स से जुडिशरी में जा चुके हैं. कुछ ऐसे भी हुए जिन्होंने मन किया तो चुनाव लड़ा, जज बने और फिर वापस राजनीति में आ गए. जस्टिस गंगोपाध्याय के बहाने आज बात उन जजों की, जिन्‍होंने अदालत से होते हुए सियासत में एंट्री ली.

बहारुल इस्लाम

fallback
अदालत से सियासत और फिर अदालत... बहारुल इस्लाम की यही कहानी है. 1962 और 1968 में कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे इस्लाम ने 1972 में इस्तीफा दे दिया. फिर वह असम और नागालैंड हाई कोर्ट (अब गौहाटी HC) के जज बना दिए गए. 1980 में जब वह HC के एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में रिटायर हुए तो सुप्रीम कोर्ट का जज बनाकर भेज दिया गया. बहारुल इस्लाम ने 1983 में सुप्रीम कोर्ट जज के पद से इस्तीफा देकर असम की बारपेटा लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोकी. इनसर्जेंसी के चलते पंजाब और असम में वोटिंग देरी से हुई तो बहारुल इस्लाम को फिर से राज्यसभा सांसद बना दिया गया.

एम सी छागला

fallback
बॉम्‍बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे एमसी छागला ने रिटायरमेंट के बाद राजनीति में एंट्री ली. 1958 में उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिका में राजदूत बनाकर भेजा. सांगली यूके में भारतीय उच्चायुक्त भी रहे. वापस आने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद ऑफर हुआ जो उन्होंने स्वीकार कर लिया. एम सी छागला अगले तीन साल तक भारत के शिक्षा मंत्री रहे. फिर तीन साल विदेश मंत्रालय का जिम्मा संभाला. राजनीतिक कामों से छूटे तो फिर वकालत करने लगे.

कोका सुब्बाराव

fallback
भारत के नौवें चीफ जस्टिस कोका सुब्बाराव का कार्यकाल आज भी याद किया जाता हैं. उन्होंने नागरिकों के मूल अधिकारों की सरकारी दमन से रक्षा की. उन्हें सीजेआई के पद से 14 जुलाई, 1967 को रिटायर होना था लेकिन तीन महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया. अगले ही दिन, उन्होंने संयुक्त विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी पेश कर दी. वह इस्तीफा देकर तुरंत राजनीतिक मैदान में उतरने वाले सुप्रीम कोर्ट के पहले जज बने. राव ने कांग्रेस उम्मीदवार जाकिर हुसैन को कड़ी टक्कर दी और 44% वोट हासिल किए.

वीआर कृष्ण अय्यर

fallback
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वीआर कृष्ण अय्यर ने कभी कहा था, 'कानून बिना राजनीति के अंधा होता है और राजनीति बिना कानून के बहरी.' CPI में रहते हुए वह पहले मद्रास और फिर तीन बार केरल विधानसभा के लिए चुने गए. 1968 में वह हाई कोर्ट के जज बने और पांच साल के भीतर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. आमतौर पर हाई कोर्ट जजों को SC तक पहुंचने में 10-15 साल लग जाते हैं. 1987 में अय्यर ने विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा.

मोहम्मद हिदायतुल्ला

fallback
11वें सीजेआई रहे मोहम्मद हिदायतुल्ला ने रिटायरमेंट से एक दिन पहले ऐसा आदेश लिखा, जिसने रजवाड़ों से उनके सारे विशेषाधिकार छीन लिए. इंदिरा गांधी सरकार उनसे खफा हो गई. 1977 में जब जनता पार्टी सत्ता में आई तो उन्हें कई आयोगों का प्रमुख बनाने की पेशकश हुई लेकिन हिदायतुल्ला ने मना कर दिया. राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए भी तीन बार गुजारिश की गई, मगर वह नहीं माने. हालांकि, 1979 में वह अचानक उपराष्ट्रपति बनने को राजी हो गए. जब राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह हार्ट सर्जरी के लिए अमेरिका गए, तब 6 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 1982 के बीच हिदायतुल्ला ने राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला. वह इकलौते ऐसे भारतीय हैं जिसने सीजेआई, राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति के रूप में) और कार्यकारी राष्ट्रपति की भूमिका निभाई.

के एस हेगड़े

fallback
के एस हेगड़े 1935 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. 1952 और 1954 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए मगर अदालतों में प्रैक्टिस जारी रखी. अगस्त 1957 में, उन्होंने मैसूर हाई कोर्ट का जज बनने के लिए RS से इस्तीफा दे दिया. जुलाई 1967 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए. जब इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें और दो अन्य, जस्टिस जे एम शेलत और जस्टिस ए एन ग्रोवर को दरकिनार करते हुए जस्टिस ए एन रे को 1973 में सीजेआई नियुक्त किया तो इन तीनों ने इस्तीफा दे दिया. हेगड़े ने 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और बेंगलुरु नॉर्थ सीट से जीत हासिल की. जुलाई 1977 में उन्हें लोकसभा अध्यक्ष चुना गया. जनता पार्टी के टूटने के बाद, वह बीजेपी में शामिल हो गए और 1980-86 तक इसके उपाध्यक्षों में से एक रहे. उन्होंने 1984 का लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए.

राज्यसभा पहुंचने वाले पूर्व चीफ जस्टिस

2020 में राष्ट्रपति ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था. उनसे पहले केवल एक पूर्व सीजेआई ही राज्‍यसभा सदस्‍य बने थे. 1991 में सीजेआई के पद से रिटायर होने वाले जस्टिस रंगनाथ मिश्रा को कांग्रेस ने 1998 में राज्यसभा भेजा था. पूर्व चीफ जस्टिस पी सदाशिवम को सरकार ने केरल का गवर्नर बनाकर भेजा. 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news