कर्नाटक के एक मंदिर में 3 साल का एक दलित बच्चा अंदर चला गया तो उसके परिवार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा था. इस कलंक को मिटाने के लिए अब कर्नाटक सरकार उसी दलित बच्चे के नाम पर 'विनय समरस्य योजना' चलाने वाली है.
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नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने 'विनय समरस्य योजना' (Vinaya Samarasya Yojana) की घोषणा की है जो राज्य भर की ग्राम पंचायतों में छुआछूत को मिटाने के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम है. इस योजना को चालू करने की वजह बहुत ही भावात्मक है.
Indian Express की खबर के अनुसार, इस योजना का नाम 3 वर्षीय दलित विनय के नाम पर रखा गया है जिसके परिवार को पिछले साल सितंबर में गांव के नेताओं द्वारा बच्चे के अपराध के लिए 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. ये बच्चा एक स्थानीय मंदिर में घुस गया था, जिसके अपराध की सजा पूरे परिवार को दी गई. ये घटना कोप्पल जिले के मियापुर गांव की है.
कर्नाटक के समाज कल्याण मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने सोमवार को राज्य विधानसभा को बताया कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के अवसर पर 'विनय समरस्य योजना' शुरू करेंगे. वे इसके वर्चुअल उद्घाटन के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात कर रहे हैं.
पुजारी ने सदन को बताया कि 'विनय समरस्य योजना' का नाम दलित लड़के विनय के नाम पर रखा गया है. राज्य में अस्पृश्यता उन्मूलन के उद्देश्य से 2022-23 के लिए हाल ही में घोषित कर्नाटक बजट में इस योजना को शामिल किया गया था.
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ऐसा लगता है कि विनय परिवार की दुर्दशा और भी विकट हो गई है. जैसे ही उन पर जुर्माना लगाने की खबरें सुर्खियों में आईं तो स्थानीय रूप से प्रभावी गनीगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गांव के नेताओं ने पीड़ित दलित परिवार का सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दिया. इसकी चपेट में आकर परिवार नवंबर में अपना घर और कृषि भूमि छोड़कर गांव से भागने को मजबूर हो गया.
विनय के पिता चंद्रशेखर शिवप्पादासरा ने कहा, "मेरे बेटे के नाम पर एक सरकारी कार्यक्रम का नाम रखने से कुछ नहीं बदलेगा. इस कुप्रथा (अस्पृश्यता) को खत्म किया जाना चाहिए."
बता दें कि मियापुर में 1,500 लोगों की आबादी है जिनमें ज्यादातर गनीगा समुदाय के लोग हैं. इनमें केवल 91 ग्रामीण, दलित समुदाय के हैं.
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