Karnataka Election Result: रुझानों के मुताबिक, बीजेपी बहुमत से दूर है. ऐसे में उसका सरकार बनाने का सपना टूट सकता है. लेकिन पार्टी को अब भी पूर्ण बहुमत की उम्मीद है.
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Karnataka Assembly Result: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटों की गिनती में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पिछड़ती दिख रही है. 224 सीटों वाली विधानसभा में उसके खाते में 70 से 75 के बीच सीटें आती हुई दिख रही हैं. रुझानों में कांग्रेस को 122, बीजेपी को 71 और जेडीएस को 24 सीटें मिलती दिख रही हैं.
क्या है बीजेपी का प्लान?
रुझानों के मुताबिक, बीजेपी बहुमत से दूर है. ऐसे में उसका सरकार बनाने का सपना टूट सकता है. लेकिन पार्टी को अब भी पूर्ण बहुमत की उम्मीद है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया कि यदि हमारा आंकड़ा बहुमत से कम रहता है, तो पार्टी के उन पूर्व नेताओं को वापस लाने की कोशिश करेगी, जिन्होंने निष्ठा बदली है और जो जीते हैं. दलबदल विरोधी कानून को रोकने के लिए इन नेताओं से अनुरोध किया जाएगा कि वे अपनी सीटों से इस्तीफा दे दें और बीजेपी सरकार का मार्ग प्रशस्त करें.
बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवारों में से किसी के जीतने पर उनका समर्थन हासिल करने की भी कोशिश करेगी. बीजेपी नेता ने बताया, यदि पार्टी पूर्ण बहुमत से बहुत कम आती है, तो बीजेप जद (एस) को समर्थन देगी और एच.डी. कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ाएगी. कुमारस्वामी, जो चिकित्सा जांच के लिए सिंगापुर में थे, शनिवार सुबह घर लौट आए और बीजेपी को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा के बारे में पहले ही सूचित कर दिया है.
कांग्रेस के प्लान को भी जान लीजिए
रुझानों में कांग्रेस को बहुमत तो मिल गया है लेकिन उसके बाद भी पार्टी अलर्ट मोड में है. कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं. रणदीप सिंह सुरजेवाला भी राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया, डी.के. शिवकुमार, जगदीश शेट्टार, एच.के. पाटिल व अन्य के सात बातचीत के लिए बेंगलुरु में मौजूद हैं. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर भी चहल-पहल दिखाई दे रही है.
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की पहली प्राथमिकता सरकार बनाने की होगी. अगर पार्टी को दस से कम सीटें मिलती हैं, तो जद (एस) को तोड़ने की कोशिश प्राथमिकता होगी. कांग्रेस के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया कि सिद्धारमैया को इस काम की जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि वह जद (एस) के पूर्व नेता थे और पार्टी में उनके गहरे संपर्क हैं.