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नई दिल्ली. आगरा में बार एसोसिएशन ने तीन कश्मीरी छात्रों को कानूनी सहायता नहीं देने का फैसला किया है. इन तीनों छात्रों पर बीते 24 अक्टूबर को हुए टी -20 विश्व कप मैच में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है. छात्रों के परिवार अब दूसरे शहरों में वकीलों से संपर्क कर रहे हैं.
मथुरा के वकील मधुवन दत्त चतुर्वेदी एक परिवार इन छात्रों का बचाव करने के लिए तैयार हो गए हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि हम जल्द ही आगरा कोर्ट में छात्रों के लिए जमानत अर्जी दाखिल करेंगे. चतुर्वेदी 26 साल के पीएचडी छात्र अतीक-उर रहमान, मसूद अहमद और मोहम्मद आलम का मामला लड़ रहे हैं, जिन पर हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने जाते समय पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के साथ देशद्रोह और यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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इस बीच वकीलों ने बयान जारी कर कहा कि देश के खिलाफ जाने वालों को कोई मदद नहीं दी जाएगी. यूथ लॉयर्स एसोसिएशन (आगरा डिवीजन) के अध्यक्ष नितिन वर्मा ने कहा कि इन छात्रों को अपना करियर बनाने के लिए भारत में प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना (पीएमएसएसएस) के तहत एडमिशन मिला और वे अपने देश के खिलाफ पड़ोसी देश की जय-जयकार कर रहे थे. आगरा एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि छात्रों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए.
बतो दें कि गुरुवार को आरबीएस इंजीनियरिंग टेक्नॉलोजी इंस्टीट्यूट के छात्रों को भाजपा युवा विंग के सदस्यों ने उस समय पीटा था, जब उन्हें अदालत में पेश कर डिस्ट्रिक्ट जेल ले जाया जा रहा था. इस दौरान कुछ वकीलों ने भी उन्हें पीटने का प्रयास किया था.
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छात्रों पर बुधवार को शत्रुता को बढ़ावा देने, हानिकारक कृत्यों को करने, भड़काऊ बयान देने और साइबर आतंकवाद के लिए मामला दर्ज किया गया था. ये ऐसे अपराध और आरोप है, जिसके लिए आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है. वहीं मामला दर्ज होने के एक दिन बाद उन पर देशद्रोह का आरोप भी लगाया गया. इस बीच, जम्मू और कश्मीर छात्र संघ ने देश भर के उन कॉलेजों की सूची तैयार की है जहां कश्मीरी छात्रों को परेशान किया जा रहा है. छात्र संघ ने संबंधित राज्य सरकारों से उन्हें ब्लैकलिस्ट करने का आग्रह किया है. एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर खुहमी ने एक बयान में कहा कि हम पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जहां कश्मीरी छात्र पढ़ रहे हैं. हमने ऐसे कॉलेजों की एक लिस्ट तैयार की है. इसे संबंधित राज्य सरकारों को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा जो अपने छात्रों की सुरक्षा करने में विफल रहती हैं.
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