माउंट एवरेस्ट पर फतह के लिए ऑनलाइन फंड जुटाने में लगी कश्मीर की इकलौती मांउटेनर
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माउंट एवरेस्ट पर फतह के लिए ऑनलाइन फंड जुटाने में लगी कश्मीर की इकलौती मांउटेनर

श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र जेवन के एक मध्यम वर्गीय परिवार की तीन बेटियों में से मंझली बेटी नहिदा मंजूर (23) दिल में माउंट एवरेस्ट को क्लाईम्ब करने का सपना संझोए बैठी हैं.

नाहिदा ने लगभग सभी माउंटेनियरिंग कोर्स कंप्लीट किए हैं.

कश्मीर: विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट को फतेह करने की चाह ने कश्मीर की बेटी नहिदा मंजूर को ऑनलाइन फंडिंग कैम्पेन चलाने पर मजबूर कर दिया. नाहीदा के अनुसार सरकार की ओर से कोई मदद का आश्वासन नहीं मिला. मगर मैंने हिमत नहीं हारी है मुझे उम्मीद है कि मैं अपना सपना पूरा कर पाऊंगी.               

श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र जेवन के एक मध्यम वर्गीय परिवार की तीन बेटियों में से मंझली बेटी नाहिदा मंजूर (23) दिल में माउंट एवरेस्ट को क्लाईम्ब करने का सपना संझोए बैठी हैं. उसे सिर्फ उस पल का इंतिज़ार है जब वो माउंट एवरेस्ट पर झंडा फहराएगी. नहिदा ने बताया कि मैं 10 साल की उम्र से ही ट्रैकिंग करती आई हूं लेकिन 2017 में मैने ट्रैकिंग को प्रॉफेश्नल तरीके से अपनाया है. कश्मीर की पहली महिला माउंटेनर होने के कारण चाहती हैं सब उसका सहयोग करें ताकि वो अपना सपना पूरा करे.

नाहिदा ने कहा कि, मैंने www.ketto.org नामी वैबसाइट पर ऑनलाइन फंडिंग से पैसा इकठ्ठा करने की ठानी है. अपनी फ़िटनेस बनाए रखने के लिए वह रोजाना वर्कआउट करती हैं. वह रोज़ सुबह करीब 6 किलोमीटर दौड़ती हैं और पूरी तैयारी कर रही हैं ताकि वह माउंट एवरेस्ट को अच्छे से क्लाईम्ब कर पाए.

नाहिदा कहती हैं "में चाहती हूं कि पूरा कश्मीर सहयोग मेरा करे क्योंकि मैं कश्मीर की पहली माउंटेनर हूं जो इस में आगे जा रही हूं. इसलिए चाहती हूं कि कश्मीर के लोग मेरा सहयोग करें, कश्मीर के बहार जो लोग हैं में उन्हें भी कहना चाहती हूं कि मेरा सहयोग करें. 

नाहिदा की बड़ी बहन रोमाना के अनुसार "बाकी कई खेल हैं जिनमें लड़कियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन माउंटेनियरिंग में यह कश्मीर की पहली ऐसी लड़की है जो कुछ बड़ा करने जा रही है और मेरी बहन ऐसा कर रही है उसके लिए हुमें बहुत गर्व. वहीं माँ रज़िया अंजुम ने बताया कि "मैंने पूरा ध्यान अपने बच्चों पर दिया और हर समय उन्हे सहयोग देती रही. समाज में लोगों ने कई बातें की लेकिन मैं एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देती थी पर अपने बच्चों के साथ एक ढाल की तरह खड़ी रही और बच्चों को बोला कि तुम सिर्फ आगे बढ़ते जाओ."    

नाहिदा ने लगभग सभी माउंटेनियरिंग कोर्स कंप्लीट किए हैं. जिनमें नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (एनआईएम) से किया गया बेसिक और एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स, स्पेशल माउंटेनियरिंग कोर्स एंड मेथड्स ऑफ इन्सट्रक्शन शामिल है. इसके अलावा उसने अब तक 6001 मीटर की ऊंचाई वाली माउंट देव टिब्बा-मनाली और 5289 मीटर की ऊंचाई वाली हिमाचल प्रदेश की फ्रेंड्शिप पीक की भी चढ़ाई की है. कश्मीर में उसने महादेव और माउंट तटाकुटी की भी चढ़ाई की है.                 

नाहिदा के अनुसार मेरे इस कदम के उठाने के बाद टीसीआई नामी एक प्राइवेट कंपनी ने 7.5 लाख स्पॉन्सर करने का आश्वासन दिलाया है और एक और कंपनी है जिसने मदद करने की इच्छा जताई है लेकिन मेरा सपना पूरा होने के लिए करीब 30 लाख का खर्च है. उम्मीद है कि पैसा जमा हो पाए और 1 अप्रैल को काठमांडू से शुरू होने वाले समिट का वो हिस्सा बन पाए. 

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