क्या अपराधी कर सकते हैं अंगदान? केरल हाई कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला
Advertisement
trendingNow1978370

क्या अपराधी कर सकते हैं अंगदान? केरल हाई कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला

केरल में अंग-प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति ने एक अपराधी के ऑर्गन डोनेट के आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसको केरल हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कई लोग जरूरतमंदों को अपने अंग दान (Organ Donation) करते है. इसके लिए बकायदा पूरा प्रोसेस फॉलो करना होता है, जिसके लिए अंग-प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति से अनुमति लेनी पड़ती है. वैसे तो कोई भी ऑर्गन डोनेट कर सकता है, लेकिन हाल ही में केरल हाई कोर्ट ( Kerala High Court) के एक फैसले ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. दरअसल, हाईकोर्ट ने अंग-प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति के एक फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने एक अपराधी के ऑर्गन डोनेट के आवेदन को खारिज कर दिया था.

  1. इंसान का कोई ऑर्गन नहीं होता अपराधी
  2. हाई कोर्ट ने किया समिति का फैसला खारिज 
  3. धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए दिया फैसला

जानकारी के अनुसार केरल हाईकोर्ट के जज पीवी कुन्हीकृष्णन ने समिति के फैसले को खारिज कर दिया. उन्होंने धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का ऑर्गन डोनेट करने से उसके अपराधी होने का कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि किसी का लीवर, किडनी या दिल आपराधिक नहीं होता.

सांप्रदायिक सौहार्द एवं धर्मनिरपेक्षता का दिया हवाला

न्यामूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन समिति के फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि हम सभी के शरीर में एक जैसा खून है. कोर्ट ने कहा है कि 1994 के मानव अंग एवं उत्तक प्रतिरोपण अधिनियम (THOA) को सांप्रदायिक सौहार्द एवं धर्मनिरपेक्षता का पथप्रदर्शक बनने दें, ताकि विभिन्न धर्मों एवं आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग अलग जातियों, नस्ल, धर्म या पूर्व में अपराधी रहे जरूरतमंद लोगों को ऑर्गन डोनेट कर सकें.

ये भी पढ़ें: लापता पत्नी की तलाश में डेढ़ महीने साइकिल पर भटकता रहा पति, जानिए रिजल्ट क्या आया सामने

कोर्ट ने कहा कि  मानव शरीर में अपराधी किडनी, लीवर या दिल जैसा कोई अंग नहीं होता. किसी भी अपराधी और गैर अपराधी के ऑर्गन में कोई अंतर नहीं होता है. हम सभी की रगों में एक जैसा इंसानी खून दौड़ रहा है. अदालत ने कहा कि अगर किसी के शव को दफना दिया जाए तो वो गल जाएगा और अगर उसका दाह संस्कार किया जाए तो वह राख बन जाएगा. वहीं अगर उनके ऑर्गन डोनेट कर दिए जाएं, तो इससे कई लोगों को जीवनदान और खुशियां मिलेंगी.

अपराधी को ऑर्गन डोनेट करने से रोकना है बेबुनियाद

न्यामूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने मानव अंगों के प्रतिरोपण के लिए एर्णाकुलम जिला स्तरीय प्राधिकरण के फैसले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने व्यक्ति के अपराधी होने के आधार पर उसके ऑर्गन डोनेट के आवेदन को खारिज कर दिया था. समिति के फैसले को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि 1994 के अधिनियम या इसके तहत बनाए गए मानव अंगों और ऊतकों के प्रतिरोपण नियम, 2014 के प्रावधानों के अनुसार किसी डोनर का पहले अपराधी होने की वजह से उसे ऑर्गन डोनेट करने से रोकना बेबुनियाद है.

ये भी पढ़ें: आठ महीने से Hotel में रह रहा था, आया 25 lakh का बिल; बाथरूम की खिड़की से हुआ रफूचक्कर

न्यायमूर्ति ने कहा कि "अगर समिति के इस रुख को अनुमति दी जाती है तो मुझे अंदेशा है, कि भविष्य में प्रतिवादी (समिति) अंगदान की अनुमति के लिए इस तरह के आवेदनों को इस आधार पर अस्वीकार कर देगा कि डोनर एक हत्यारा, चोर, बलात्कारी, या मामूली आपराधिक अपराधों में शामिल है. मुझे आशा है कि वे डोनर के हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, सिख धर्म या किसी जाति का व्यक्ति होने के आधार पर आवेदनों को खारिज नहीं करेंगे".

LIVE TV

 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news