Lakhimpur Kheri violence: उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ के सामने पेश हुईं और लखीमपुर हिंसी की ये घटना एक गंभीर अपराध है.
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Ashish Mishra's crime is grave: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने गुरुवार को कहा कि यह एक घिनौना और गंभीर अपराध है. अगर इस केस में आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत दी जाती है तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा.
गुरुवार को सुनवाई के बाद लखीमपुर खीरी हिंसा में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ के सामने पेश हुईं और लखीमपुर हिंसी की ये घटना एक गंभीर अपराध है. उन्होंने कहा, ‘यह एक गंभीर और घिनौना अपराध है. इससे समाज में गलत मैसेज जाएगा.’
8 लोगों की गई थी जान
दरअसल, 3 अक्टूबर 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की घटना में 8 लोगों की जान चली गई थी. ये वो समय था जब किसान अपने इलाके में यूपी के तत्कालीन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे.
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक, एक एसयूवी ने 4 किसानों को कुचल दिया था. इस एसयूवी में आरोपी आशीष मिश्रा भी सवार था. इसके बाद घटना से गुस्साए किसानों ने एसयूवी के ड्राइवर और बीजेपी के 2 कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी. हिंसा की इस घटना में एक पत्रकार की जान गई थी.
हिंसा के इस केस में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत कुल 13 लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है. कुल 13 अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (बलवा), 149 (गैरकानूनी जमावड़े में शामिल किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाना), 148 (धारदार हथियार लेकर बलवा करना), 307 (हत्या का प्रयास), 427 (आर्थिक नुकसान पहुंचाना), 326 (खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक नुकसान पहुंचाना), 302 (हत्या) और 120 (ख) (साजिश रचना) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप तय किए गए थे.
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