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पुणे: भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोवा ने गुरूवार को कहा कि प्रौद्योगिकीय उन्नति और आग्नेयास्त्रों एवं कवच (कॉम्बैट गियर) को बेहतर बनाए जाने से युद्ध की क्षमता और तरीकों में काफी बदलाव आए हैं, लिहाजा तकनीक आधारित युद्ध का प्रभावी तौर पर सामना करने के लिए सुरक्षा बलों को कुशल बनाए जाने की जरूरत है.
यहां खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के 136वें पाठ्यक्रम के पासिंग आउट परेड के लिए समीक्षा अधिकारी के तौर पर आए धनोवा ने प्रशिक्षण पूरा कर रहे कैडेटों को संबोधित करते हुए यह बात कही. वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘आग्नेयास्त्रों की रेंज और क्षमता तथा कवच में सुधार, परमाणु, जैविक एवं रासायनिक हथियारों का सामने आना और इलेक्ट्रॉनिक एवं रात के वक्त लड़ाई की क्षमता के बेहतर होने से युद्ध के रेंज और तौर-तरीकों में काफी बदलाव आए हैं.’’
उन्होंने कहा कि संचालन के स्तर पर डिजिटलीकृत संचार एवं उच्च-प्रौद्योगिकी वाले सेंसरों का व्यापक इस्तेमाल, युद्ध के मैदान की पल-पल की स्थिति की निगरानी, लक्ष्य की पहचान, रेकी से यह जटिल और बहुआयामी हो गया है. धनोवा ने कहा, ‘‘आखिरकार, आपको कौशल सीखना होगा और इस तकनीकी आधारित युद्ध का प्रभावी तरीके से सामना करना होगा.’’
कुल 291 कैडेटों एनडीए से स्नातक किया है. इसमें 218 थलसेना, 34 नौसेना एवं 39 वायुसेना के हैं. थलसेना में 15 विदेशों के भी कैडेट हैं. इनमें विदेशी कैडेट अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, वियतनाम, ताजिकिस्तान, मालदीव और पापुआ न्यू गिनी से हैं. डिवीजनल कैडेट कैप्टन संदीप कोरांगा ने मेरिट में समग्र तौर पर पहला स्थान प्राप्त करने के कारण राष्ट्रपति स्वर्ण पदक जीता है. बटालियन कैडेट एडजुटेंट दिव्यम द्विवेदी ने मेरिट में दूसरा स्थान प्राप्त करने के कारण रजत पदक और बटालियन कैडेट कैप्टन एसकेएस चौहान ने मेरिट में तीसरा स्थान प्राप्त करने के कारण कांस्य पदक जीता है.