कानून की किस किताब में लिखा है कि दिल्‍ली, भारत की राजधानी है: SC में केजरीवाल सरकार
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कानून की किस किताब में लिखा है कि दिल्‍ली, भारत की राजधानी है: SC में केजरीवाल सरकार

दिल्‍ली सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि दिल्‍ली को भारत की राजधानी घोषित करने के संबंध में इस तरह का कोई भी संदर्भ संविधान या किसी कानून के तहत नहीं मिलता.

फाइल फोटो

नई दिल्‍ली: एलजी और आप सरकार की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान अरविंद केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि क्‍या संविधान या संसद से पारित किसी कानून के द्वारा दिल्‍ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया. दिल्‍ली सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि दिल्‍ली को भारत की राजधानी घोषित करने के संबंध में इस तरह का कोई भी संदर्भ संविधान या किसी कानून के तहत नहीं मिलता.

  1. एलजी बनाम दिल्‍ली सरकार की शक्तियों पर चल रही बहस
  2. इससे पहले कोर्ट ने कहा, प्रथम दृष्‍टतया एलजी ही दिल्‍ली के बॉस
  3. पांच जजों की संविधान पीठ कर रही सुनवाई

मंगलवार को बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि केंद्र और राज्य के बीच कार्यकारी शक्तियों के बंटवारे पर संवैधानिक योजना को क्या केंद्र शासित क्षेत्र दिल्ली पर भी लागू किया जा सकता है? क्‍या दिल्‍ली को भी अन्‍य राज्‍यों की तरह कार्यकारी शक्तियां मिल सकती हैं? प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद यह सवाल किया. न्यायालय दिल्ली में शासन की सर्वोच्चता किसके पास होने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.

एक जहाज के दो कप्‍तान 
आप सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एक जहाज के दो कप्तान रहने पर अव्यवस्था होगी. पीठ ने कहा, ''केंद्र शासित क्षेत्र दिल्ली के मामले में ये प्रावधान किस तरह से लागू होंगे.'' संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने भी एलजी को बताया 'दिल्ली का बॉस', केजरीवाल सरकार को झटका

जयसिंह ने कहा, ''केंद्र कैसे कह सकता है कि आप (दिल्ली सरकार) के पास कार्यकारी शक्ति नहीं है. मैं विधायी शक्तियों पर इस स्थिति को समझ सकती हूं.'' उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 239 एए और दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों की व्याख्या के दौरान न्यायालय को दिल्ली के केंद्र शासित क्षेत्र होने की शब्दावली को लेकर दिशा निर्देशित नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, राज्य और केंद्र के बीच जिम्मेदारियों की अस्‍पष्‍टता नहीं होनी चाहिए.

सुनवाई में जयसिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के पास संविधान की केंद्रीय सूची और समवर्ती सूची में मौजूद विषयों पर केंद्रीय कानून लागू करने की शक्ति है और वह सिर्फ यह कह कर कि 'आप के पास शक्ति नहीं है', इसे हथिया नहीं सकती. पीठ ने कहा कि यह मुद्दा सूक्ष्म अवलोकन का विषय है कि उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री तथा मंत्रिपरिषद के बीच विचारों के अंतर के मामले में क्या हो सकता है.

जिम्मेदार सरकार की अवधारणा
अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने भी कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष भी 'प्रतिनिधिक सरकार' की जगह 'जिम्मेदार सरकार' की अवधारणा की बात करता है और मौजूदा मुद्दा दिल्ली के 1.89 करोड़ लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि पुडुचेरी के उलट दिल्ली को संविधान से शक्तियां मिली हुई हैं और इसकी शक्तियां संसद से मिला तोहफा नहीं है. इस मसले पर बुधवार को भी बहस जारी रहेगी. 

इससे पहले उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख बताने वाले, दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की विभिन्न याचिकाओं पर दो नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए केजरीवाल सरकार को गहरा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि केजरीवाल सरकार को स‌ंविधान के दायरे में रहना होगा. पहली नजर में एलजी के अधिकार राज्य सरकार से ज्यादा हैं. 

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सामान्य राज्य नहीं बल्कि एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए, यहां राज्य सरकार के अधिकार अन्य राज्यों की तरह नहीं हो सकते. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार और एलजी के बीच अधिकारों को लेकर कोई विवाद होता है तो उन्हें राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए क्योंकि संविधान के अनुसार असल मुखिया वही हैं.

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