अजब MP का गजब प्रशासनः 95 साल के बुजुर्ग को 24 साल का मजदूर बनाकर निकाली 210 दिन की मजदूरी
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अजब MP का गजब प्रशासनः 95 साल के बुजुर्ग को 24 साल का मजदूर बनाकर निकाली 210 दिन की मजदूरी

खरगोन जिले के खड़की गांव में रहने वाले संग्राम सिंह ने जनसुनवाई में बताया कि उनके पिता की उम्र 95 साल हो चुकी है. जिस उम्र में वह चल भी नहीं पाते उस उम्र में मजदूरी करना तो बहुत दूर की बात है. लेकिन उनके पिताजी की उम्र 24 साल बताकर मनरेगा के तहत 210 दिन की मजदूरी के पैसे निकाल लिए गए.

जनसुनवाई में शिकायत करने पहुंचे ग्रामीण

खरगोनः मध्य प्रदेश के खरगोन जिले से भ्रष्टाचार से जुड़ा एक बेहद रोचक मामला सामने आया है. जहां एक 95 साल के बुजुर्ग आदमी को 24 साल का बताकर उनके नाम से 210 दिन की मजदूरी का पैसा निकाल लिया गया. इस पूरे मामले का खुलासा जनसुनवाई में हुआ. जहां बुजुर्ग के बेटे ने पूरे फर्जीवाडे़ की जानकारी कलेक्टर को बताई. इस पूरे मामले में गांव के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. 

यह है पूरा मामला 
खरगोन जिले के खड़की गांव में रहने वाले संग्राम सिंह ने जनसुनवाई में बताया कि उनके पिता की उम्र 95 साल हो चुकी है. जिस उम्र में वह चल भी नहीं पाते उस उम्र में मजदूरी करना तो बहुत दूर की बात है. लेकिन उनके पिताजी के नाम पर उनकी उम्र 24 साल बताकर  मनरेगा के तहत 210 दिन की मजदूरी के पैसे निकाल लिए गए. संग्राम सिंह का कहना है कि उनके गांव में मनरेगा के तहत जितने भी काम हो रहे हैं. उनमें जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. 

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इस तरह हुआ मामले का खुलासा 
संग्राम सिंह ने बताया कि इस बात की जानकारी उन्हें पंचायत दर्पण वेबसाइट पर मिली है. जिसमें उनके पिता की उम्र 24 साल बताई गई हैं और उनका नाम गांव के मजदूरों की श्रेणी में जुड़ा हुआ था. जब उन्होंने पंचायत में इस बात की जानकारी ली तो पूरे मामले का खुलासा हुआ. जिसके बाद उन्होंने इस मामले की जानकारी जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर को दी है.  संग्राम ने बताया कि केवल उनके साथ ही यह धोखाधड़ी की गई है. बल्कि गांव के ही मुकेश पिता हीरा के नाम से शौचालय स्वीकृत हुआ था, लेकिन उसकी राशि किसी और के नाम पर स्वीकृत कर दी गई. इसी तरह कई खातों में आठ से दस लाख की राशि का भी गबन किया गया है.

मनरेगा के कामों में जमकर हो रहा भ्रष्टाचार 
संग्राम सिंह ने बताया कि गांव में मनरेगा के तहत जो भी काम स्वीकृत होते हैं, सरपंच-सचिव मिलकर उन कामों को मजदूरों से करवाने की बजाए मशीनों से करवाते हैं, जबकि मजदूरों के नाम से फर्जी दस्तावेज बनाकर पैसे निकाले जाते हैं. इस तरह अब तक कई कामों के पैसे निकाले जा चुके हैं. संग्राम ने बताया कि सरपंच-सचिवों की मिलीभगत मनरेगा के तहत जितने भी कार्य हो रहे हैं उनमें भ्रष्टाचार किया जा रहा है. मजदूरों के काम का पैसा ये लोग अपने खातों में डलवा लेते हैं. जबकि गांव के लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं मिल पाती. 

डिप्टी कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश 
मामल सामने आने के बाद खरगोन जिले के डिप्टी कलेक्टर राहुल चौहान ने ग्रामीणों की शिकायत पर जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि वह इस पूरे मामले की जांच करवाएंगे, जांच में जो भी लोग दोषी पाएं जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. 

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