अनिल माधव दवे के 'नदी का घर' से तय होती है भाजपा की चुनावी रणनीति
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अनिल माधव दवे के 'नदी का घर' से तय होती है भाजपा की चुनावी रणनीति

 पर्यावरण राज्य मंत्री और मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सदस्य रहे अनिल माधव दवे का दिल्ली में गुरुवार (18 मई) सुबह आकस्मिक निधन होने का समाचार मिलने के बाद उनके भोपाल स्थित आवास ‘नदी का घर’ में शोक की लहर छा गई. जैसे ही उनके निधन के समाचार की खबर मिली, उनके अनेक समर्थक उनके आवास ‘नदी का घर’ में इकट्ठा होना शुरू हो गये. इस घर की स्थापना दवे ने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा के संरक्षण के लिए बनाये गये ‘नर्मदा समग्र’ नामक गैर सरकारी संगठन को चलाने के लिए की थी.

दवे जब भी भोपाल के दौरे पर आते थे, अमूमन इसी घर में ठहरा करते थे. (फाइल फोटो)

भोपाल: पर्यावरण राज्य मंत्री और मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सदस्य रहे अनिल माधव दवे का दिल्ली में गुरुवार (18 मई) सुबह आकस्मिक निधन होने का समाचार मिलने के बाद उनके भोपाल स्थित आवास ‘नदी का घर’ में शोक की लहर छा गई. जैसे ही उनके निधन के समाचार की खबर मिली, उनके अनेक समर्थक उनके आवास ‘नदी का घर’ में इकट्ठा होना शुरू हो गये. इस घर की स्थापना दवे ने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा के संरक्षण के लिए बनाये गये ‘नर्मदा समग्र’ नामक गैर सरकारी संगठन को चलाने के लिए की थी.

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बड़नगर में छह जुलाई 1956 को जन्मे दवे जब भी भोपाल के दौरे पर आते थे, अमूमन इसी घर में ठहरा करते थे. यह घर स्पष्ट रूप से नर्मदा के संरक्षण एवं चुनाव लड़ने के लिए कुशल रणनीति तैयार करने के लिए भाजपा का मुख्य केन्द्र बन गया है. लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे दवे कुशल रणनीतिकार थे. वह वर्ष 2003 में तब सुखिर्यों में आए जब उनकी कुशल रणनीति के तहत भाजपा ने मध्यप्रदेश में 10 साल से सत्ता पर काबिज रहने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बेदखल कर दिया था. उनकी इस कुशल रणनीति से प्रभावित होकर इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया था.

मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि दवे पर्यावरण प्रेमी थे और नदी संरक्षण के प्रति उनका बड़ा लगाव था. यह उनके उस वसीयतनामे से जाहिर होता है, जो उन्होंने उन लोगों के लिए लिखा है, जो उनकी याद को संजोए रखना चाहते हैं. दवे ने 23 जुलाई 2012 को लिखे अपने वसीयतनामे में लिखा है, ‘‘जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं, वे कृपया पौधे लगाने और उन्हें संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करेंगे, तो मुझे आनंद होगा. वैसे ही नदी-जलाशयों के संरक्षण में अपनी सामथ्र्य अनुसार अधिकतम प्रयत्न भी किये जा सकते हैं. मेरी समृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा इत्यादि जैसे विषय कोई भी न चलाएं.’’ 

इसके आगे दवे ने अपने वसीयतनामे में लिखा है, ‘‘मेरे मरने के बाद उत्तर क्रिया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हो, किसी भी प्रकार का दिखावा एवं आडंबर न हो.’’ उन्होंने आगे लिखा है, ‘‘समय हो तो मेरा दाह संस्कार होशंगाबाद स्थित बांद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाये.’’ मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दवे का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार होशंगाबाद स्थित बांद्राभान में 19 मई को सुबह 10 बजे नदी महोत्सव के स्थान पर किया जायेगा. प्रदेश में 18 और 19 मई को दो दिन का राष्ट्रीय शोक रहेगा.’’

दवे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने प्रशासनिक दक्षता और कुशलता का परिचय दिया था. उनके जैसे कुशल संगठक का निधन देश और प्रदेश के लिये अपूरणीय क्षति है.’’ चौहान ने कहा, ‘‘विश्वास नहीं होता कि दवे अब हमारे बीच नहीं हैं. वे नदी संरक्षक, पर्यावरणविद्, विचारक, कुशल संगठक और अद्भुत व्यक्ति थे. वे अनेक विषयों पर लिखने वाले, कल्पनाशील मस्तिष्क के धनी और असाधारण रणनीतिकार थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश और समाज की सेवा के लिये समर्पित कर दिया. वे सबका ध्यान रखते थे.’’

उन्होंने कहा कि दवे की कुशल रणनीति का योगदान भाजपा के तीन विधानसभा और लोकसभा के चुनावों की विजय में रहा. दवे सदैव काम में लगे रहने वाले मां नर्मदा के ऐसे भक्त थे, जो जब भी समय मिलता, नर्मदा के तट पर पहुंच जाते थे. उन्होंने नर्मदा की परिक्रमा छोटे विमान और राफ्ट के जरिये की थी. चौहान ने कहा कि उनका असामायिक निधन व्यक्तिगत क्षति है, लेकिन नियति पर हमारा कोई वश नहीं होता. उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को गहन दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है.

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