गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. शिवराज सरकार जब से सूबे में चौथी बार सत्ता में आई है तभी से विंध्य क्षेत्र में विरोध की लहरें तेज हैं.
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भोपाल: विंध्य से आने वाले नेता गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. शिवराज सरकार जब से सूबे में चौथी बार सत्ता में आई है तभी से विंध्य क्षेत्र में विरोध की लहरें तेज हैं. क्योंकि सीएम शिवराज ने अपनी टीम में सिंधिया गुट के नेताओं को भरपूर मौका दिया और जिस विंध्य ने 2018 के चुनाव में भाजपा की इज्जत बचाई वहां से सिर्फ एक नेता को मंत्री बनाया गया.
विंध्य क्षेत्र से वर्तमान शिवराज कैबिनेट में सिर्फ एक मंत्री
बीजेपी ने राम खेलावन पटेल को शिवराज की टीम में एंट्री दी. ब्राह्मण बहुल विंध्य से पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला और गिरीश गौतम लगातार मंत्री पद के लिए दावा ठोक रहे थे. लेकिन कैबिनेट में एडजस्टमेंट संभव नहीं हो पा रहा रहा था. अब भाजपा ने असेंबल स्पीकर पद के लिए रीवा के देवतालाब से विधायक गिरीश गौतम के नाम पर मुहर लगा दी है.
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नगरीय निकाय चुनाव से पहले विंध्य को साधने की कोशिश
इसके पीछे एक वजह निकाय चुनाव भी मानी जा रही है. एमपी में कभी भी निकाय चुनावों का एलान हो सकता है. ऐसे में विंध्य से ब्राह्मण नेता को स्पीकर बनाकर बीजेपी ने विरोध की लहरों को शांत करने का प्रयास किया है. लेकिन यह शांत होता प्रतीत नहीं हो रहा क्योंकि गिरीश गौतम के नामांकन के कुछ ही देर बाद केदारनाथ शुक्ला ने पार्टी नेतृत्व और सरकार के से अपनी असंतुष्टि जाहिर कर दी.
स्पीकर की रेस में पिछड़े केदारनाथ शुक्ला का छलका दर्द
उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में भाजपा को पहला विधायक सीधी ने दिया, लेकिन पार्टी ने सीधी को कभी उतनी तरजीह नहीं दी जितनी मिलती चाहिए थी. केदारनाथ शुक्ला ने कहा कि वह पार्टी के वरिष्ठ विधायक हैं, चूंकि राजनीति में हैं इसलिए पद की इच्छा भी रखते हैं, संन्यासी होते तो शायद नहीं रखते. उन्होंने कहा कि समय बड़ा बलवान होता है. आपको बता दें कि केदारनाथ शुक्ला रिश्ते में गिरीश गौतम के समधी लगते हैं.
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क्या गिरीश गौतम से पूरी हो पाएगी विंध्य क्षेत्र की असंतुष्टि?
इसके अलावा मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी इन दिनों पूरे विंध्य में सभाएं कर रहे हैं. वह अलग विंध्य प्रदेश की बिगुल बजाए हुए हैं. इसके लिए मैहर विधायक ने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिख दिया था. उधर जबलपुर के पाटन से भाजपा विधायक अजय विश्नोई पहले ही सिलसिलेवार ट्वीट करके महाकौशल और विंध्य को ठगा हुआ बता चुके हैं. ऐसे में भाजपा निकाय चुनाव से पहले अपने असंतुष्ट नेताओं को साधने में जुटी है. गिरीश गौतम को स्पीकर बनाना इसी क्रम में लिया गया फैसला है.
विंध्य ने 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को 24 सीटें दी
आगामी दिनों में संभव है कि शिवराज अपनी कैबिनेट में बची सीटों को भी भर सकते हैं. ऐसे में विंध्य व महाकौशल क्षेत्र के असंतुष्ट नेताओं को मंत्री पद से नवाजा जा सकता है.रीवा, सतना, सीधी और शहडोल लोकसभा क्षेत्रों को मिलाकर विंध्य क्षेत्र बनता है. विंध्य क्षेत्र से एमपी विधानसभा की 31 सीटें आती हैं. साल 2014 में भाजपा यहां सिर्फ 4 सीटों पर जीत पाई थी, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 24 रहा. एक तरह से यदि भाजपा अभी मध्य प्रदेश की सत्ता में काबिज है तो उसमें विंध्य की भूमिका अहम है.
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महाकौशल में 2018 असेंबली इलेक्शन में मुरझा गया था कमल
वहीं महाकौशल क्षेत्र में आठ जिले जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, डिंडौरी आते हैं. महाकौश में विधानसभा की 38 सीटें पड़ती हैं. यह क्षेत्र हमेशा से भाजपा का स्ट्रॉन्गहोल्ड रहा है. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 24 और कांग्रेस ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव स्थिति उल्टी रही. इस बार कांग्रेस के खाते में 24 सीटें आईं, भाजपा 13 सीटों पर सिमट गई, 1 सीट पर निर्दलीय ने जीत का परचम लहराया था.
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