Sawan Month 2022: छत्तीसगढ़ में स्थित है विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना
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Sawan Month 2022: छत्तीसगढ़ में स्थित है विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना

Sawan Month 2022: सावन का महीना शुरू हो गया है. सभी शिवालयों पर भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया है. ऐसे में आज हम आपको ऐसे शिवलिंग के बारे में बता रहे हैं जिसके आकार में हर साल 6 से 8 इंच वृद्धि होती है. मान्यता है कि यह शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
 

Sawan Month 2022: छत्तीसगढ़ में स्थित है विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना

बलराम नायक/गरियाबंदः  (Sawan Month 2022) सावन का पावन महीना शुरू हो गया है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ में स्थित उस शिवलिंग के बारे में जो पिछले कई सालों से लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वक्त 80 फीट ऊंचे और 230 फीट चौड़े इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसके आकार में लगातार वृद्धि हो रही है. छत्तीसगढ़ समेत देशभर के शिवभक्तों की आस्था का प्रतीक यह शिवलिंग गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. माना जाता है कि यह शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है.
 
इसके आकार में आज भी होती है वृद्धि
गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर मरौदा गांव के घने जंगलों में अद्भुत अकल्पनीय सा दिखता यह शिवलिंग पूरे छत्तीसगढ़ के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है. इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यह आज भी बढ़ रहा है. आज इसकी उंचाई 80 फीट और चौडाई 230 फीट हो गई है और लगातार बढ़ता ही जा रहा है. सावन के महीने में दूर-दूर से लोग इस शिवलिंग पर जलाभिषेक करने आते हैं. गरियाबंद का यह मंदिर भगवान भूतेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है.

दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मुराद
ऐसी मान्यता है सावन के महीने में वैदिक मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए महादेव का जलाभिषेक व व्रत पूजन करना चाहिए. यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि भूतेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से लोगों के कष्ट दूर होते हैं. जो मुराद यहां दिल से मांगी जाती है भोलेनाथ उसे जरूर पूरा करते हैं. 

सैकड़ों साल पहले शुरू हुई इस शिवलिंग की कहानी
बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले जमीनदारी प्रथा के समय पारा गांव के रहने वाले जमीनदार शोभासिंह की यहां पर खेती-बारी थी. शोभासिंह जब भी शाम को खेत में जाता वहां मौजूद टीले के पास उसे सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाजें आतीं. उसने गांव वालों को यह बात बताई, उन्होंने भी कहा कि उन्हें यहां इस तरह की आवाजें आई थीं. गांव वालों ने आस-पास सांड और शेर को ढूंढा, लेकिन उन्हें दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया. इसके बाद से ही लोगों ने इसे शिवलिंग का एक रूप मान लिया और महादेव के प्रति उनकी आस्था बढ़ती गई. लोगों की मान्यता है कि यहां से पानी भी निकलते हुए दिखाई देता है.

आपको बता दें कि इस मंदिर में सावन के महीने में भक्तों का तांता लग जाता है. इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जललहरी भी दिखाई देती है. जो धीरे-धीरे जमीन के उपर आती जा रही है.

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