जब शिवराज सिंह ने सीएम का पद संभाला तब तक कोरोना संक्रमण संकट का भय पूरे प्रदेश में फैल चुका था. जिस कारण जनता में विश्वास पैदा करना और व्यवस्थाएं बहाल करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती था.
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भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था. जिस समय शिवराज सिंह ने सीएम का पद संभाला तब तक कोरोना संक्रमण संकट का भय पूरे प्रदेश में फैल चुका था. जिस कारण जनता में विश्वास पैदा करना और व्यवस्थाएं बहाल करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती था.
बतौर सीएम उनके लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना संक्रमण से बचने के लिये सावधानियां अपनाने को तैयार कराना सबसे मुख्य काम था. उनका लक्ष्य स्वास्थ्य अमले को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना था.
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वैसे तो प्रदेश में टेस्टिंग किट, लैब सुविधा, चिकित्सकों, मरीजों और उनके परिवार की सुरक्षा के लिये पर्याप्त उपकरण, मास्क, पीपीई किट आदि सीमित थे. लेकिन कोरोना संक्रमण के संभावित और प्रभावित मरीजों की देख-रेख के लिये नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण और तकनीकी साधन उपलब्ध कराना जरूरी था.
सात दिन में बदलने लगी स्थिति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संकट से प्रदेश को कोरोना मुक्त कराने की चुनौती को स्वीकार किया. जैसे ही उन्होंने पद ग्रहण किया वैसे ही उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर सभी जिलों की स्थिति की समीक्षा की और दूसरी तरफ प्रदेश की जनता का संबोधन किया. जनसामान्य से संवाद के लिये सीएम हेल्पलाइन और सहायता के लिये कॉल सेंटर को चाक-चौबंद किया गया. सीएम शिवराज सिंह ने अस्पतालों और चिकित्सा अमले के संसाधनों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया. जिसके परिणामस्वरूप कार्यभार ग्रहण करने के सातवें दिन से प्रदेश की स्थिति बदलनी शुरु हो गयी.
बता दें कि आज प्रदेश में 20 हजार आई.टी.पी.सी.आर. हैं, 6 लैब में टेस्टिंग क्षमता 500 टेस्ट प्रतिदिन है. मुख्यमंत्री ने 14 लैब में 1,000 टेस्ट प्रतिदिन की क्षमता के निर्देश दिए हैं. वर्तमान में प्रदेश में 29,795 पीपीई किट्स हैं तथा 5 हजार पीपीई किट्स प्रतिदिन बांटने की स्थिति में है.
गौरतलब है कि ये किट्स संभागीय मुख्यालयों को पहुंचाए जा रहे हैं. हाइड्रो क्लोरोक्वीन गोलियों की संख्या 2 लाख 25 हजार है. आगामी चार दिनों में 10 लाख गोलियां और मिल जाएंगी. आज 1 लाख 14 हजार है, 50 हजार एन-95 मास्क वितरित कर दिए जाने हैं सात ही आक्सीजन सिलेंडर की संख्या 3,324 है तथा 1,000 का ऑर्डर दिया गया है.
अस्पतालों में बेड, वेन्टिलेटर की व्यवस्था
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा व्यवस्थाओं को गति देने के परिणामस्वरूप प्रदेश में 24 हजार 27 बेड मरीजों के लिये उपलब्ध हैं. इसके साथ ही भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा और सागर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में 394 आईसीयू बेड और 319 वेंटिलेटर तथा 8 निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में 418 आईसीयू बेड और 132 वेंटिलेटर की व्यवस्था मौजूद हैं. इसके साथ ही निजी क्षेत्र के चिन्हित 107 अस्पतालों में 276 आईसोलेशन बेड 1261 आईसीयू बेड और 385 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं.
बता दें कि प्रदेश में कोविड-19 वायरस की टेस्टिंग की पर्याप्त सुविधा विकसित कर ली गयी है. वर्तमान में 6 टेस्टिंग लेब एम्स भोपाल, जीएमसी भोपाल, एनआईआरटीएच जबलपुर, डीआरडीई ग्वालियर, बीएमएचआरसी भोपाल और मेडिकल कॉलेज इंदौर संचालित है. पांच अन्य लेब शीघ्र आरंभ होंगी.
चिकित्सा सलाह व निगरानी में आई.टी. का उपयोग
आपको बता दें कि प्रदेश में कोविड प्रभावित होम क्वारंटाइन किये गये लोगों को घरों से सीधे संवाद करने के लिये सभी जिलों में टेलीमेडिसिन केन्द्र की स्थापना की गयी है. वीडियो कॉलिंग के माध्यम से प्रभावित व्यक्ति से चिकित्सक सीधे संवाद कर सकते हैं. क्वारंटाइन किये गये व्यक्तियों की निगरानी के लिये सार्थक एप विकसित किया गया है. इससे फोटो बेस्ड जियो टेगिंग पद्धति से मरीजों की निगरानी की जा रही है.
प्रदेश के अनेक जिलों में 26 हजार 800 स्वयंसेवकों ने सार्थक एप पर मरीजों की निगरानी के लिये अपनी सहमति प्रदान की है. नर्सों तथा पैरामेडिकल स्टाफ को तत्काल प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डब्ल्यूएचओ तथा यूनिसेफ के माध्यम से प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर जूम एप द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
विन्ध्यष क्षेत्र में विशेष योगदान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विन्ध्य क्षेत्र को कोरोना संकट से सुरक्षित करने की पुख्ता व्यवस्था की है. शहडोल, रीवा, और सिंगरौली जिलों में कोरोना के इलाज के लिए अलग-अलग स्पेसिफाइड अस्पताल की व्यवस्था की गई है. इन अस्पतालों में केवल कोरोना के मरीजों का उपचार किया जाएगा. यहां इलाज की सभी आधुनिक व्यवस्थाएं है.
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