कंप्यूटर बाबा ने मध्य प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए जमकर कैंपेन किया और चुनाव को आध्यात्मिक रंग भी दिया.
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भोपाल: सरकार चाहे बीजेपी की रही हो या कांग्रेस की कंप्यूटर बाबा हमेशा ही सरकार के केंद्र में रहे हैं. शिवराज सरकार के वक्त राज्यमंत्री का दर्जा पाने के बाद कंप्यूटर बाबा सियासत में एंट्री हुई तो लगा कि मध्यप्रदेश में नर्मदा के कामकाज का जिम्मा बाबा के हाथ में ही रहेगा. कुछ दिनों तक बाबा ने सरकार के मनमाफिक काम जरूर किया, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए बाबा राजनीति के सियासी दांव भी चलते चले गए. सरकार में उनका दखल इतना बढ़ने लगा कि कई बड़े अधिकारी और नेता बाबा की शिकायत लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास पहुंचने लगे.
उसके बाद बाबा ने विधानसभा चुनाव के टिकट की दावेदारी भी करना शुरू कर दिया. कंप्यूटर बाबा ने मध्य प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए जमकर कैंपेन किया और चुनाव को आध्यात्मिक रंग भी दिया. उसका इनाम उन्हें यह मिला कि कांग्रेस जब सत्ता में आयी तो बाबा को एक बार फिर नदी संरक्षण से जुड़े हुए कामों का जिम्मा देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे गया. वहीं, अब बाबा ने नए सिरे से राजनीति में एंट्री करने के बाद अपना रवैया नहीं छोड़ा और रेत की खदानों पर छापे मारने अकेले निकल पड़े.
क्या छोटे क्या बड़े हर अधिकारी बाबा के इस कदम से इतना परेशान हुए कि सरकार के आला अधिकारियों और मंत्रियों की बात पहुंचा दी. आज बाबा को समझाने के लिए मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बाबा के साथ बैठक की और उन्हें बताया कि अकेले खदानों पर छापे मारने ना निकलें. दरअसल, बाबा ने होशंगाबाद क्षेत्र के सोमालवाड़ा गांव में अवैध रेत का परिवहन कर रहे हैं डंपर और जेसीबी मशीन पर छापा मारा था.
इसके बाद अधिकारियों को बुलाकर जब्त करवाया था. यहीं से बाबा और सरकार के बीच खटपट का दौर शुरू हो गया है. इस पूरे मामले पर पीसी शर्मा से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामले को लेकर बाबा ही कहेंगे जो कुछ कहना है.