उत्तर भारत के किसानों द्वारा इन दिनों कृषि कानून और श्रम नीतियों को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इसके साथ ही छत्तसीगढ़ में भी किसानों द्वारा केंद्र के कृषि कानून और राज्य की ओर से धान खरीदी में आ रही समस्याओं को लेकर विरोध हो रहा है.
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रायपुरः हरियाणा, यूपी और पंजाब के किसानों द्वारा ` कृषि कानून` के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है. किसान 'दिल्ली चलो' अभियान के साथ सड़कों पर उतर आए हैं. किसानों का विरोध तीन राज्यों तक ही सीमित नहीं है. यहां छत्तसीगढ़ राज्य के किसान भी केंद्र सरकार के फार्म एक्ट का लगातार विरोध कर रहे है. आज गुरुवार को भी किसान रायपुर के राजभवन में विरोध करने पहुंचे. जहां अंदर जाने से पहले ही उन्हें रोक दिया गया.
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राजभवन में अंदर नहीं जाने देने पर किसानों ने राजभवन के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा. फार्म एक्ट के खिलाफ अपना विरोध जताते हुए किसानों का कहना है कि केंद्र के साथ ही ये प्रदर्शन राज्य सरकार के खिलाफ भी है. केंद्र द्वारा लागू किए गए फार्म एक्ट के अलावा राज्य द्वारा धान खरीदी में आ रही समस्याओं के विरुद्ध ये प्रदर्शन है. किसानों ने सुबह मोतीबाग चौक से किसान रैली निकालकर राजभवन का घेराव किया था.
दो दिन तक जारी रहेगा चक्का जाम
राज्य में केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में चल रहा ये प्रदर्शन प्रदेश भर के किसानों द्वारा एकजुट हो कर किया जा रहा है. राज्य के अन्य जिलों में भी किसान संगठन और ट्रेड यूनियनों द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहा है. संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि आने वाले दो दिनों तक प्रदर्शन जारी रहेगा. चक्का जाम और मशाल रैली निकालकर केंद्र सरकार की श्रम नीति और कृषि कानून के खिलाफ विरोध जताया जाएगा.
क्या हैं केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून
केंद्र सरकार संसद में किसानों के लिए तीन नए बिल लेकर आई थीं. जिसे लोकसभा और राज्यसभा में पास कराने के बाद राष्ट्रपति की अनुमति भी मिल गई हैं. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीनों ही बिल कानून बन चुके हैं. इन्हीं के विरोध में देशभर के किसान खासकर उत्तर भारत के किसानों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है.
1. पहला कानून
इस कानून के तहत किसानों को अपनी फसल देश में कहीं भी बेचने की आजादी रहेगी. इसके अलावा मार्केटिंग और ट्रांस्पोर्टेशन पर भी कम खर्च होने की बात शामिल है. केंद्र का मानना है कि इससे दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा मिलेगा.
2. दूसरा कानून
इसमें केंद्र सरकार द्वारा कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविजन किया गया है. कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज, कृष बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जुड़ने से मजबूती की बात शामिल है. कॉन्ट्रेक्टेड किसानों को क्वालिटी वाले बीज की सप्लाई करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज की सहूलियत और फसल बीमा की सहूलियत मुहैया कराने की बात की गई है.
3. तीसरा कानून
इस कानून में अनाज, दाल, तिलहन, खाने का तेल, आलू-प्याज को जरूरी चीजों की लिस्ट से हटाया गया है. केंद्र का मानना है कि इस कानून के आने से किसानों को अनाज की सही कीमत मिलेगी क्योंकि बाजार में मुकाबला बढ़ेगा.
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विरोध की वजह
इन कानूनों को लेकर किसान और अपोज़ीशन पार्टियों का कहना है कि वह मंडी व्यवस्था खत्म कर किसानों को एमएसपी (Minimum Support Price) से दूर करना चाहती है. यानी किसानों को डर है कि उन्हें उनकी फसलों पर मिलने वाला एमएसपी खत्म किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में किसान कृषि कानून के साथ ही धान खरीदी को लेकर राज्य सरकार की व्यवस्था से परेशान है.
इन्हीं मांगों को लेकर हरियाणा, यूपी और पंजाब के किसान 'दिल्ली चलो' अभियान कर रहे हैं. उनके इस विरोध को केंद्र सरकार द्वारा प्रशासनिक बल लगाकर रोका जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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