वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष का फैसला कल होने की संभावना है. बताया जा रहा है कि उपाध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति( एससी) के किसी वरिष्ठ विधायक को मिल सकता है.
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हरीश दिवेकर/भोपाल: रीवा के देवतालाब विधानसभा सीट से 4 बार के विधायक गिरीश गौतम (Girish Gautam) को मध्य प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष बनाया जाएगा. इसके लिए उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया है. इस मौके पर उपस्थित सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे पूरी जिम्मेदारी के साथ पद का निर्वहन करेंगे. विधानसभा में आंकड़ों को ध्यान में रखें तो भाजपा विधायक का स्पीकर पद पर निर्विरोध चुना जाना तय है.
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वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष के नाम पर फैसला 22 फरवरी को होने की संभावना है. सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश विधानसभा का उपाध्यक्ष पद अनुसूचित जाति( एससी) के किसी वरिष्ठ विधायक को मिल सकता है. 22 फरवरी को ही विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत हो रही है. सर्वदलीय बैठक में यह तय हो जाएगा कि भाजपा उपाध्यक्ष पद विपक्ष यानी कांग्रेस को देती है या अपने पास रखती है. आपको बता दें कि कमलनाथ सरकार ने यह परंपरा तोड़ते हुए सदन के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का पद अपने पास रखा था.
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गिरीश गौतम का नाम संगठन ने आगे बढ़ाया है. प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 3 दिन पहले गिरीश गौतम को भोपाल बुलाकर मुलाकात की थी. गौतम मध्य प्रदेश विधानसभा के 18वें अध्यक्ष होंगे. वह विंध्य क्षेत्र से आते हैं. विधानसभा अध्यक्ष का पद 17 साल बाद एक बार फिर विंध्य के खाते में जाएगा. विंध्य के कद्दावर नेता श्रीनिवास तिवारी 9 साल 352 दिन एमपी असेंबली के स्पीकर रहे. उनका दो बार का कार्यकाल दिग्विजय सरकार के दौरान 24 दिसंबर 1993 से 11 दिसंबर 2003 तक रहा.
साल 1972 में छात्र राजनीति से गिरीश गौतम ने की सियासी पारी की शुरुआत
साल 1972 से छात्र राजनीति में सक्रिय रहे गिरीश गौतम ने 1977 से लगातार किसानों एवं मजदूरों के लिए संघर्ष किया. वह 2003 में रीवा की मनगवां विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने थे. हालांकि इसके बाद इस सीट के आरक्षित होने के बाद बीजेपी ने उन्हें देवतलाब भेजा जहां से वह लगातार 2008, 2013 व 2018 में जीत अर्जित की. वह इस विधानसभा की लोक लेखा, महिला एवं बाल कल्याण, अनुसूचित जाति-जनजाति व पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के सदस्य भी रह चुके हैं.
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माध्यमिक शिक्षा मंडल सहित इन विभागों की सलाहकार समितियों के रहे हैं सदस्य
माध्यमिक शिक्षा मंडल एवं गृह तथा शिक्षा विभाग की सलाहकार समितियों के सदस्य रहे हैं. जब वह 2008 में दूसरी बार विधायक बने तो इस कार्यकाल में प्राक्कलन, विशेषाधिकार, सार्वजनिक उपक्रम समितियों के सभापति रहे. वर्ष 2013 में तीसरी बार विधायक बने और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर की प्रबंध सभा के सदस्य, उत्तर-मध्य रेलवे परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे. वर्ष 2018 में वह चौथी बार चुनाव जीत कर विधायक बने.
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