इमरती देवी अकेली नहीं जो इस विभाग की मंत्री बनकर हारीं, पहले चार, सिर्फ एक है अपवाद
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इमरती देवी अकेली नहीं जो इस विभाग की मंत्री बनकर हारीं, पहले चार, सिर्फ एक है अपवाद

उपचुनाव में इमरती देवी की हार की चर्चा सियासी गलियारों में जमकर हो रही है. लेकिन उनकी इस हार की एक वजह महिला एवं बाल विकास विभाग को भी बताया जा रहा है. जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ इस विभाग की वजह से वे चुनाव हार गयी. 

 

इमरती देवी(फाइल फोटो)

भोपाल: मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने भले ही 19 सीटें जीतकर प्रदेश की सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली हो. लेकिन इमरती देवी की हार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी है. इमरती देवी इस चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में रही. सिंधिया और सीएम शिवराज ने उनके लिए जमकर प्रचार किया बावजूद इसके वे चुनाव हार गयी. लेकिन इमरती देवी जिस महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही थी. इस विभाग को भी उनकी हार की एक बड़ी वजह बताया जा रहा है. 

क्या है महिला बाल विकास विभाग का मिथक 
दरअसल, पिछले कुछ चुनावों से जो भी महिला मंत्री महिला बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. उसे चुनाव में हार का सामना करना पड़ता है. इमरती देवी पांचवीं ऐसी महिला हैं जो इस विभाग की मंत्री रहने के बाद चुनाव हार गयी. हालांकि इसे केवल सयोग भी माना जा सकता है. लेकिन पिछले कुछ चुनाव से जो भी महिला इस विभाग की मंत्री रही वह चुनाव हार गयी. 
 
अर्चना चिटनिस 
अर्चना चिटनिस को 2018 के चुनाव से ठीक दो साल पहले महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था. लेकिन 2018 के चुनाव में वे बुरहानपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार गयी. उन्हें निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने हराया था. 

ललिता यादव 
ललिता यादव को भी 2018 के चुनाव के पहले महिला बाल विकास विभाग में राज्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन वे भी 2018 का चुनाव हार गयी. ललिता यादव अपनी सीट बदलकर बड़ामलहरा से चुनाव मैदान में उतरी लेकिन उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 

कुसुम महदेले 
2003 में मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद कुसुम महदेले को महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था. लेकिन 2008 के चुनाव में उन्हें इसी विभाग का मंत्री रहते हुए महज 48 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. तब कुसुम पन्ना विधानसभा सीट से चुनाव हार गयी थी. 

रंजना बघेल
रंजना बघेल को 2007 में महिला बाल विकास विभाग के राज्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन मंत्री रहते हुए रंजना बघेल मनावर विधानसभा सीट से 2008 का विधानसभा चुनाव हार गयी. यानि महिला बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही दोनों मंत्री चुनाव हार गयी. 

अपवाद रही है जमुना देवी 
सिर्फ ऐसा नहीं है कि महिला बाल विकास मंत्री रहते हार का सामना ही करना पड़ता है. प्रदेश की पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष रह चुकी जमुना देवी इस मिथक पर एक अपवाद के रुप में हैं. वे महिला बाल विकास विभाग की मंत्री रहते हुए भी चुनाव जीतती रही.दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल में जमुना देवी ने महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाली. लेकिन वे चुनाव नहीं हारी. 

इमरती देवी की हार की चर्चा 
इन मंत्रियों की हार के बाद इमरती देवी पांचवीं महिला नेत्री बन गयी. जो महिला बाल विकास विभाग की मंत्री रहते हुए चुनाव हार गयी. इमरती देवी को डबरा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने 7663 वोट के अंतर से चुनाव हराया. विधायक न बन पाने की वजह से उन्हें मंत्री पद भी छोड़ना पड़ेगा. 

हालांकि महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री रहते हुए इन महिलाओं का चुनाव हारना महज संयोग है या कुछ और यह तो कहा नहीं जा सकता. लेकिन यह मिथक इमरती देवी की हार के बाद प्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय जरुर बना हुआ है. 

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