बैतूल: अंधविश्वास पर वनकर्मियों ने की चोट, बंद कराई चमत्कारी पेड़ की दुकान
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बैतूल: अंधविश्वास पर वनकर्मियों ने की चोट, बंद कराई चमत्कारी पेड़ की दुकान

बैतूल जिले के पश्चिम वन मंडल की चिचोली रेंज की डडारी सर्किल के बिघवा गांव के जंगल में स्थित महुए के पेड़ को कुछ अंधविश्वासियों ने चमत्कारी बताकर लोगों को गुमराह करने का नया धंधा शुरू कर दिया था.

बैतूल: अंधविश्वास पर वनकर्मियों ने की चोट, बंद कराई चमत्कारी पेड़ की दुकान

इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूल: पिछले दिनों होशंगाबाद जिले के नयागांव में एक कथित चमत्कारिक महुए के पेड़ की खबर ने पुलिस सहित जि़ला प्रशासन और वन विभाग की नाक में दम कर दिया था. अंधविश्वास से घिरे अंधभक्तों और प्रशासन के बीच हिंसक झड़पें भी हुई. इसके बाद भी अंधविश्वास का यह खेल रुकने का नाम नही ले रहा है. दरअसल, अंधविश्वासी महुआ का पेड़ बैतूल जिले में पिछले आठ दिनों पहले सामने आया था. धीरे-धीरे ये अपनी जड़ें जमा रहा था. बता दें कि इस पेड़ की कहानी होशंगाबाद स्थित पेड़ से जुड़ी हुई बताई जा रही है. जहां पर एक महिला को यहीं से यह शक्ति प्राप्त हुई और बैतूल पहुंच गई. अंधविश्वास के इस खेल का जैसे ही वनकर्मियों को पता चला, उन्होंने सभी को वहां से खदेड़ दिया.

दरअसल, बैतूल जिले के पश्चिम वन मंडल की चिचोली रेंज की डडारी सर्किल के बिघवा गांव के जंगल में स्थित महुए के पेड़ को कुछ अंधविश्वासियों ने चमत्कारी बताकर लोगों को गुमराह करने का नया धंधा शुरू कर दिया है. यहां कुछ लोग जिनमें महिलाएं शामिल हैं, दरबार सजा कर बैठ गए थे. कथित चमत्कारी महुए के पेड़ की अफवाह फैलते ही अंधविश्वास का शिकार हुए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचने लगे. लोग महुए के इस पेड़ के पास बैठकर अपने दुख बीमारियों के ठीक होने की मन्नतें मांगने लगे. 

हद तो तब हो गई, जब यहां एक महिला ने तो खुद को देवी का रूप घोषित कर दिया. अपने आप को दैवीय शक्ति का रूप बताने वाली महिला के अनुसार वो पिपरिया के नयागांव में चमत्कारी महुए के पेड़ के पास गई थी. वहीं से सारी शक्ति लेकर आई हैं और अब वो सारी शक्ति इस महुए के पेड़ में आ गई है. जिसे अब लोग पूज रहे हैं. 

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ये महिला बैतूल के चिचोली थाना क्षेत्र के ग्राम बिघवा की रहने वाली है. जिसका नाम मालती मर्सकोले है. यह चमत्कारी महुए का पेड़ इसी महिला के दिमाग की उपज है. बताया जा रहा है कि यहां आने पर सारी शक्तियां उस पर हावी होने लगी, जिसके बाद उसने गांव के पंचो से सारी बातें बताई. सभी ने आपसी सहमति बनाकर उक्त महुए के पेड़ को चुनकर चमत्कारी बना दिया. इसके बाद देवी का रूप धारण कर ये महिला लोगों की तकलीफें दूर करने लगी. 

महुए के इस पेड़ के अंधविश्वास की जानकारी वन विभाग और पुलिस को मिली. जिसके बाद वनकर्मियों ने मौके पर जाकर इस दुकान को नेस्तनाबूद कर दिया. डीएफओ मयंक चांदीवाल के मुताबिक विभाग ने वहां लगाए त्रिशूल और दूसरी पूजन सामग्री जप्त कर ली है. 21वीं सदी में ये नजारे आज भी हैरान करते हैं. जाहिर है, शिक्षा की कमी आज भी अंधविश्वास की बड़ी वजह बनी हुई है.

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