आरोपी को फांसी पर लटका देखकर अधिकारियों ने रामकेश के शव को नीचे उतारा और फिर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने रामकेश को मृत घोषित कर दिया.
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के चित्रकूट में जुड़वा मासूम भाइयों का दिनदहाड़े स्कूल बस से अपहरण कर हत्या करने वाले आरोपी रामकेश यादव पिता राम शरण यादव ने सतना सेंट्रल जेल में फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली. 26 वर्षीय रामकेश यादव ने आज सुबह जेल में फांसी लगाकर जान दे दी. बता दें रामकेश ने जेल की 8 नंबर बैरक में फांसी लगा ली, जिसके बाद पूरे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आरोपी को फांसी पर लटका देखकर अधिकारियों ने रामकेश के शव को नीचे उतारा और फिर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने रामकेश को मृत घोषित कर दिया.
बता दें रामकेश ने पैसों के लालच में अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 12 फरवरी को सीतापुर निवासी बृजेश रावत के दो जुड़वा बेटों प्रियांश और श्रेयांश का अपहरण कर लिया था, जिसके बाद आरोपियों ने फोन कर बृजेश से फिरौती की मांग की थी. बृजेश ने फिरौती के 20 लाख अपहरणकर्ताओं को दे भी दिए थे, लेकिन पोल खुलने के डर से रामकेश और उसके साथियों ने मिलकर दोनों बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी और फिर उनके पैरों में जंजीर बांधकर दोनों को नदी में फेंक दिया. आरोपियों ने फरौती के रुपयों की मांग भी राह चलते लोगों का फोन इस्तेमाल कर की, जिससे की वह पकड़ में न आएं.
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दोनों बच्चों की हत्या की बात स्वीकार करते हुए आरोपियों ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा भी किया था, जिसमें आरोपियों ने बताया था कि कैसे पहले इस अपहरण की प्लानिंग की और फिर इसे अंजाम दिया. शातिरों ने इस घटना के बारे में बताते हुए बताया था कि इस पूरी प्लानिंग का मास्टरमाइंड बीआईटी की पढ़ाई कर रहे छात्र पद्म शुक्ला ने की थी. पद्म के साथ राजू द्विवेदी और आलोक सिंह तोमर नाम के छात्र भी इस पूरी वारदात में शामिल थे. इसके अलावा इसमें बांदा के ट्यूशन टीचर रामकेश यादव और उसके मामा हमीरपुर के पिंटू उर्फ पिंटा यादव और बिहार का विक्रमजीत सिंह भी शामिल थे. पहले इन लोगों ने बच्चों को बंदूक की नोक पर अगवा किया और फिर बच्चों को अगवा करने के लिए जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया था उसे ठिकाने लगा दिया.
बता दें बच्चों का अपहरण करने के बाद इन सभी लोगों ने बच्चों के परिजनों से एक करोड़ की फिरौती मांगी थी, जिसमें से 20 लाख इन्हें दिए जा चुके थे, लेकिन बच्चे कहीं इन्हें पहचान न लें, इस डर से शातिरों ने बच्चों को मार डाला. इस दौरान आरोपी बच्चों को लेकर अलग-अलग जगह पर रहे थे, ताकि किसी भी तरह से पुलिस इन तक पहुंच न जाए. वहीं पकड़े जाने के बाद शातिरों के पास से पुलिस ने 17.67 लाख की राशि और एक कार भी जब्त की थी.