'बेटी की पेटी' से लगेगी महिला अपराधों पर लगाम, ग्वालियर पुलिस ने निकाला नायाब तरीका
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'बेटी की पेटी' से लगेगी महिला अपराधों पर लगाम, ग्वालियर पुलिस ने निकाला नायाब तरीका

ग्वालियर में महिला अपराध पर नजर डालें तो, जनवरी से अक्टूबर तक के 10 महीने में 339 छेड़छाड़ की घटनाएं, 145 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं. 

पेटियों में छात्राएं, युवतियां, महिलाएं अपने साथ होने वाली घटनाओं की लिखित में शिकायत कर सकती हैं.

ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में महिला अपराधों से निपटने के लिए पुलिस 'बेटी की पेटी' का सहारा ले रही है. पुलिस ने स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल, कोचिंग कॉम्प्लेक्स, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, मंदिर और सार्वजनिक चौराहों पर बेटी की पेटी लटकाना शुरू कर दिया है. छात्राएं, युवतियां और महिलाएं अपनी शिकायतें लिखकर बेटी की पेटी में डाल सकती है. इन शिकायतों के आधार पर पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई करेगी. 

ग्वालियर चंबल अंचल में महिला अपराध पर नकेल कसना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. छेड़छाड़, अश्लील कमेंट, प्रताड़ना, अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाएं पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं. यही वजह है कि पुलिस ने इनसे निपटने के लिए बेटी की पेटी लॉन्च की है. ग्वालियर रेंज के एडीजीपी राजा बाबू सिंह ने बेटी की पेटी की शुरुआत की है. ग्वालियर के साथ ही शिवपुरी, दतिया, गुना, अशोकनगर जिले में भी बेटी की पेटियां लगाई जा रही हैं. स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल, कोचिंग, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, मंदिर और प्रमुख चौराहों पर बेटी की पेटियां लटकाई जा रही हैं. 

पेटियों में छात्राएं, युवतियां, महिलाएं अपने साथ होने वाली घटनाओं की लिखित में शिकायत कर सकती हैं. उस इलाके के थाना की महिला पुलिस अधिकारी रोजाना शाम को बेटी की पेटी को खोलेंगी और उनकी शिकायतों को जमा करेंगी. इन शिकायतों की छंटनी की जाएगी और छंटनी के आधार पर शिकायतों के खिलाफ कार्रवाई थाना स्तर पर की जाएगी. पूरे संभाग की बेटी की पेटी में आई शिकायतों के निवारण और रणनीति का ब्यौरा रोजाना एडीजीपी राजा बाबू सिंह के पास पहुंचेगा.

गौरतलब है कि ग्वालियर में महिला अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. जिले में 24 घंटे में अलग-अलग स्थानों में छेड़छाड़, मारपीट, प्रताड़ना, दहेज, अपहरण, रेप के लगभग 12 मामले दर्ज होते हैं. यही वजह है कि जब पुलिस ने बेटी की पेटी योजना की पहल की. इसे लेकर स्थानीय युवतियों का कहना है कि बेटी की पेटी में वह अपनी शिकायत बेझिझक लिख कर डाल सकती हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि छात्राएं, युवतियां और महिलाएं कई बार छेड़छाड़ आदि घटनाओं का अपने घर में जिक्र नहीं कर पाती हैं. वो भी गुमनाम शिकायत आरोपी के खिलाफ कर पाएंगी. छात्राएं, युवतियो और महिलाओं ने इस पहल की तारीफ की है. ग्वालियर की युवतियों ने भी कहा कि महिला अपराध को रोकने के लिए सराहनीय पहल है.

ग्वालियर में महिला अपराध पर नजर डालें तो, जनवरी से अक्टूबर तक के 10 महीने में 339 छेड़छाड़ की घटनाएं, 145 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं. इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि ग्वालियर में महिला अपराध किस कदर बढ़ रहे हैं. अब पुलिस को उम्मीद है कि 'बेटी की पेटी' के सहारे बढ़ते महिला अपराधों पर कुछ हद तक लगाम लगाई जा सकेगी.

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