जहां देखो पानी ही पानी, नर्मदा नदी के बैक वाटर से टापू बने कई गांव, 250 से परिवारों पर संकट
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जहां देखो पानी ही पानी, नर्मदा नदी के बैक वाटर से टापू बने कई गांव, 250 से परिवारों पर संकट

Madhya Pradesh News: सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर में कई गांव टापू बन गए हैं. यहां के चार गांवों में 250 से ज्यादा परिवार जिन्दगी और मौत के बीच मझदार में फंसे हुए हैं. सरकार ने कागजों पर विस्थापन और पुनर्वास दिखा दिया है मगर हकीकत एक दम उलट है.  

जहां देखो पानी ही पानी, नर्मदा नदी के बैक वाटर से टापू बने कई गांव, 250 से परिवारों पर संकट

MP News: मध्यप्रदेश के बड़वानी में इन दिनों बारिश के चलते नर्मदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. इस समय वहां नर्मदा नदी खतरे के निशान से 11 मीटर ज्यादा यानी 134.40 मीटर के निशान पर बह रही है. इसके चलते सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर में तेजी से पानी बढ़ा, जिसके कारण 65 गांवों पर खतरा मंडराने लगा है. यहां के चार गांव राजघाट कुकरा, जांगरवा, बड़वा और चिपाखेड़ी बैक वाटर के कारण टापू बन गए हैं. इस वजह से इन चार गांवों के 250 से ज्यादा परिवारों के सामने जिंदगी और मौत का सवाल खड़ा हो गया है. 

गांव के लोगों को कहीं आने-जाने के लिए लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. खेतों और सड़कों पर पानी भरा है. गांव के लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं. घर का सारा सामान भीग चुका है. खाने के लिए राशन नहीं है. घर के आंगन में घुटनों तक पानी भर चुका है. बच्चों की पढ़ाई छूट गई है. पशुओं के खाने के लिए चारा भी नहीं है. फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. हर तरफ पानी और कीचड़ होने के कारण बीमारी फैलने का खतरा भी लगातार बना हुआ है. ऐसे में अगर कोई बीमार भी हो जाए तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए भी नाव का ही सहारा है.

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'न जमीन मिली न मुआवजे की रकम'
स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी की ऊंचाई बढ़ा कर गांव के गांव तबाह किए जा रहे हैं. ना उन्हें जमीन दी जा रही है ना मुआवजे की रकम. बैक वाटर के चलते हर साल उन्हें चार से पांच महीने अपने घरों में कैद होकर रहना पड़ता है. सरकार-प्रशासन को कई बार इसकी जानकारी दी गई, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. शासन-प्रशासन ने गांव वालों को अपने हाल पर छोड़ दिया है. सरकार ने पुनर्वास स्थल जरूर बनाए लेकिन वहां रहने लायक कोई सुविधा नहीं है. इन लोगों की मांग है कि, ‘या तो बांध का लेवल 122 मीटर रखा जाए या फिर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा दिया जाए. जमीन के बदले जमीन और घर बनाने का पैसा दिया जाए. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हम गांव छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे.

'10 बाय 10 के कमरे में भेड़ बकरियों की तरह लाकर ठूंस दिया'
दूसरी तरफ पुनर्वास स्थल पर टीनशेड में रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकार ने हमें 10 बाय 10 के कमरे में भेड़ बकरियों की तरह लाकर ठूंस दिया है. इसी में हमें रहना, खाना बनाना और सोना पड़ता है. यहां ना तो पीने के पानी की व्यवस्था है और ना ही खाने की. बिजली भी कभी-कभार आती है. बारिश के दिनों में कीड़े-मकोड़ों का डर रहता है. अक्सर सांप भी निकलते रहते हैं. चारों ओर फैली गंदगी के कारण हर समय बीमार होने का डर सताता है. सरकार ने शुरुआती 2 महीने हमें खाना दिया. वह भी कच्चा और उसके बाद हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया गया. साल 2019 में यहां पानी में करंट फैलने से 2 लोगों की मौत हो गई थी जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.  हमारा आज तक सम्पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ. हमें ना तो मुआवजा मिला, ना घर मिला और ना ही जमीन के बदले जमीन मिली. कुछ लोगों को जमीन दी भी गई तो वह भी पूरी तरह से बंजर, जहां खेती करना नामुमकिन है. ऐसे में अब हम कहां जाएं. हमारी कोई नहीं सुनता है. 

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बात करने से बचते रहे जिम्मेदार
कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग से संपर्क करना चाहा लेकिन वह उपलब्ध हुए और ना ही उन्होंने मैसेज का जवाब दिया. एसडीएम भूपेन्द्रस रावत से जी मीडिया ने बात करना चाहा, लेकिन वह पल्ला झाड़ते हुए कैमरे से बचते रहे.  दरअसल गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से उसका बैक वाटर मध्यप्रदेश के धार, बड़वानी और अलीराजपुर जिलों के कई गांवों में रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी आफत बन चुका है. स्थानीय लोग पिछले कई सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. यहां विस्थापन और पुनर्वास को लेकर बहुत बडी गड़बड़ियां है. जिन इलाकों को डूब में नहीं माना गया वहां भी पानी भरने लगा है.

बड़वानी से पुष्पेन्द्र वैद्य की रिपोर्ट

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