First in Madhya Pradesh: भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) के डॉक्टरों ने कमाल करते हुए एक चौथे स्टेज की कैंसर पीड़ित महिला को ऑपरेशन के दौरान कीमोथेरेपी (Chemotherapy During Operation) दी. इसे हाईपेक सर्जरी (Hipec Surgery Technique) कहते हैं, जो मध्य प्रदेश में पहली बार हुई है. आगे खबर में जानिए पूरी डिटेल
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First in Madhya Pradesh: भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित एम्स (Bhopal AIIMS) के डॉक्टरों ने कमाल कर दिखाया है. यहां एक कैंसर पीड़ित महिला को ऑपरेशन के दौरान कीमोथेरेपी (Chemotherapy During Operation) दी गई. जिस प्रक्रिया को हाईपेक सर्जरी (Hipec Surgery Technique) के नाम से जाना जाता है. इसी के साथ AIIMS मध्य प्रदेश की पहली हॉस्पिटल बन गई है, जहां इस पद्धति का उपयोग किया गया. अब उम्मीद जताई जा रही है कि महिला जल्द स्वस्थ हो जाएगी.
चौथे स्टेज की मरीज थी महिला
भोपाल एम्स पहुंची 52 साल की महिला को अंडाशय में कैंसर था. वो इस गंभीर बीमारी के चौथे स्टेज की मरीज थी. उसके इलाज के लिए डॉक्टरों ने पूरा प्लान बनाया और 8 घंटे में उसका सफल ऑपरेशन किया. इस दौरान उन्होंने हाईपेक सर्जरी का इस्तेमाल किया.
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कैसे हुई हाईपेक सर्जरी
इस ऑपरशेन में दोनों अण्डाशय, बच्चादानी, पित्त की थैली और पेट में खून की नसों के पास लसिका ग्रंथियों को निकाला गया और इसके बाद 90 मिनट के लिए पेट में नई तकनीक से 42- 43 सेल्सियस तापमान पर कीमोथेरेपी दी गई.
क्या है हाईपेक सर्जरी की तकनीक
पारंपरिक कीमोथेरेपी में सर्जरी के बाद नस के जरिए दवा को रक्त में पहुंचाया जाता है. लेकिन, हाईपेक सर्जरी की तकनीक में सर्जरी के बाद पेट में कैंसर की दवा पहुंचाई जाती है. इसमें हाईपेक मशीनों का उपयोग होता है. इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाइडलाइन है.
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क्या होते हैं स्टेप
- सबसे पहले साइटो रिडक्टिव सर्जरी के जरिए की जाती है.
- पहले स्टेप में गर्भाशय, अंडाशय और आंतों का कुछ हिस्सा, गाल ब्लैडर, पेरीटोनियम, लिम्फ नोड्स को हटाया जाता है.
- इसके बाद हाईपेक तकनीक से संक्रमित कोशिकाओं पर ही सर्जरी के दौरान कीमोथेरेपी दी जाती है.
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इसके फायदे और चुनौती
इस तकनीकी से शरीर में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं पर तत्काल दवा का असर होता है, मरीज पर कीमोथेरेपी का दुष्प्रभाव कम होता है. हालांकि, इसमें मरीज को सही मात्रा में दवा देना और सही तापमान देना चुनौतीपूर्ण होता है. जानकारों की मानें तो इस तकनीक में मरीज को बेहोशी देना भी चुनौती भरा होता है. ऑपरेशन के बाद पोस्ट आपरेटिव वार्ड में पल-पल की निगरानी रखनी पड़ती है.