Castor Oil in Pregnancy: प्रेग्नेंसी में अरंडी का तेल कितना सुरक्षित? क्या होती है नार्मल डिलीवरी ?
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Castor Oil in Pregnancy: प्रेग्नेंसी में अरंडी का तेल कितना सुरक्षित? क्या होती है नार्मल डिलीवरी ?

Diet During Pregnancy: भारत में ज्यादातर घरों में खाना बनाने के लिए सरसों का तेल, सोयाबीन का तेल या नीरियल के तेल का इस्तेमाल होता है. लेकिन कई लोगों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अरंडी के तेल (Castor Oil in Pregnancy Safe Or Not) का सेवन करना चाहिए. तो यहां पढ़िए कि प्रेग्नेंसी में अरंडी का तेल कितना सुरक्षित है?

 

Castor Oil in Pregnancy Safe Or Not

Castor Oil in Pregnancy: गर्भावस्था के दौरान एक महिला (Diet During Pregnancy) को अपने खाने पीने का अधिक ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है. इसलिए कुछ भी खाने पीने से पहले यह सोच लेना चाहिए  कि इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर तो नहीं पड़ेगा. भारत में ज्यादातर  महिलाएं खाना पकाने के लिए रसोई में सरसों का तेल, सोयाबीन का तेल, जैतून का तेल या नीरियल के तेल का इस्तेमाल करती हैं. इसके अलावा कुछ महिलाएं अरंडी के तेल का सेवन करना भी पंसद करती हैं. सवाल ये है कि क्या प्रेग्नेंसी में अरंडी का तेल (What To Eat In Pregnancy) यूज करना सही है या नहीं

अरंडी का तेल कितना सुरक्षित?
एक रिपोर्ट के मुताबिक जब महिला गर्भावस्था के नोवें महीने में अरंडी के तेल का सेवन करती हैं तो  तय डेट से पहले डिलीवरी का दर्द होना शुरु हो जाता है. समय से पहले डिलीवरी होने की स्थिति बन जाती है. कहने का मतलब ये है कि जब महिला इसका सेवन करना शुरु करती हैं तो उसके एक दो दिन बाद महिला को डिलीवरी का दर्द होना शुरु हो जाता है और महिला के प्रसव की संभावना को बढ़ा देता है. कई लोगों का ये मानना है कि  यदि कोई महिला तय समय से पहले बच्चे को जन्म देना चाहती है और उसके लिए अरंडी के तेल का सेवन कर रही हैं तो उसके कई दुष्यप्रभाव हो सकते है .इससे यूटेरस को नुकसान पहुंच सकता है, एम्बिलिकल कॉर्ड बाहर आ सकता है. इसलिए प्रेग्नेनेंसी के समय किसी भी चीज को खाने से पहले अपनी डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेना चाहिए

कब कर सकते हैं अरंडी के तेल का इस्तेमाल?
महिला को अरंडी के तेल का सेवन गर्भावस्था के नोवें महीने में करना चाहिए क्योंकि तब तक महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा परिपक्व हो जाता है . नोवें महीने में महिला की डिलीवरी होना नॉर्मल माना जाता है. नोवें महीने में महिला भोजन में अरंडी के तेल का इस्तेमाल कर सकती है, या फिर पानी में अरंडी के तेल को मिलाकर इसका उपयोग कर सकती हैं. अगर पानी में मिलाकर पीना पसंद नहीं है तो जूस में आधा चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर इसका सेवन कर सकती हैं. इस तेल का सेवन करने के बाद पानी अधिक पिएं . दरअसल अरंडी का तेल एक तरह का लैक्सेटिव होता है , जो शरीर को डिहाइड्रेट कर सकता है.  महिला प्रसव के बाद भी अरंडी के तेल का उपयोग कर सकती हैं . प्रसव के बाद कमर , पेट पर हुए स्ट्रेच मार्क्स को हटाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है.

गर्भावस्था के समय अरंडी के तेल का नुकसान
जब महिला अरंडी के तेल का गर्भावस्था के दौरान ज्यादा सेवन करती हैं तो उसे डिलीवरी के समय ज्यादा दर्द होगा और समय से पहले बच्चे के जन्म देने के रिस्क को बढ़ा सकता है. इसके अधिक सेवन से शरीर में पानी की कमी हो सकती है और लूज मोशन की समस्या बढ़ सकती है. शरीर में इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस हो सकता है. इसके अलावा यह महिलाओं में डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क को कम करता है . 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इन नुस्खों की पुष्टि नहीं करता है.)

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