Emergency Anniversary: आपातकाल की बरसी पर CM शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर बताया कि किसका गला घोंटकर देश में इमरजेंसी लागू की गई थी.
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भोपाल/प्रमोद शर्मा: साल 1975 में आज ही के दिन यानी 25 जून को लागू हुई इमरजेंसी के 48 साल पूरे हो गए हैं. 25-26 जून की रात को आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में इमरजेंसी लागू हो गई. अगली सुबह पूरे देश ने रेडियो पर तत्कालीन PM इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना- भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है, लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. आपाकाल की बरसी पर CM शिवराज ने ट्वीट कर इन दिनों को डार्क डेज ऑफ इमरजेंसी करार दिया है.
CM शिवराज ने कहा- गला घोंटकर हुई थी लागू
CM शिवराज ने ट्वीट किया- 1975 में आज के ही दिन भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटकर आपातकाल लागू किया गया था.आम नागरिक से लेकर प्रेस की अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचला गया, प्रत्येक मुखर आवाज पर ताले जड़ दिए गए; जो इस अन्याय के विरुद्ध डटे रहे, उन्हें काल कोठरी के अंधेरों में ठूंसकर चुप कराने का क्रूरतम प्रयास किया गया. लोकतंत्र के हत्यारों के विरुद्ध लड़ने वाले लोकतंत्र सेनानियों तथा आपातकाल की क्रूर यातनाओं को सहते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर देने वाले महान आत्माओं के चरणों में सादर नमन करता हूं. हे मां भारती,आज हम सब एक और संकल्प लेते हैं कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले महान आत्माओं के सपनों के भारत के निर्माण के लिए अपना सर्वस्व झोंककर कार्य करेंगे.
1975 में आज के ही दिन भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटकर आपातकाल लागू किया गया था।
आम नागरिक से लेकर प्रेस की अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचला गया, प्रत्येक मुखर आवाज पर ताले जड़ दिये गये; जो इस अन्याय के विरुद्ध डटे रहे, उन्हें काल कोठरी के अंधेरों में ठूंसकर चुप कराने का…
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 25, 2023
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PM मोदी ने कहा- इतिहास में आपातकाल को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा
PM मोदी ने देश में आपातकाल लगाए जाने के 48 साल पूरे होने पर उन लोगों को श्रद्धांजलि दी है, जिन्होंने इसका विरोध किया था. PM मोदी ने ट्वीट किया, 'मैं उन लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और देश में लोकतंत्र की भावना को मजबूत करने के लिए काम किया. आपातकाल हमारे देश के इतिहास का कभी ना भूला जा सकने वाला समय है, जो संविधान के मूल्यों के पूरी तरह खिलाफ है.'