MP News: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित नई संसद के डिजाइन से मिलते-जुलते बीजा मंडल में आज फोर्स तैनात की गई है. बता दें कि हिंदू पक्ष के लोग यहां नाग पंचमी पर पूजा करने आते हैं, हिंदू पक्ष के लोगों ने कलेक्टर से पूजा करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था. इसके बाद किसी भी तरह का विवाद न हो इसके लिए फोर्स तैनात कर दी गई है.
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Force deployed in Bija Mandal on Nag Panchami: बीते महीने धार भोजशाला में मंदिर मस्जिद को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद यहां पर सर्वे चला और ASI की सर्वे की टीम ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की थी. इसके बाद अब एमपी के विदिशा जिले में स्थित बीजा मंडल आज पूरी तरह से छावनी में तब्दील हो गया है, यहां पर हिंदू पक्ष के लोग इसे अनलॅाक करने की मांग कर रहे थे, इसे देखते हुए भारी फोर्स तैनात की गई है. बता दें कि हर साल नागपंचमी के अवसर पर हिंदू धर्म के लोग यहां पर पूजा अर्चना करने आते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नई संसद के डिजाइन से मिलते-जुलते बीजामंडल मंदिर को मस्जिद बताया है, ASI द्वारा जारी लेटर के बाद इसे लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है.
फोर्स तैनात
मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि विदिशा जिले के बीजा मंडल में कई सालों से नागपंचमी के मौके हिंदू धर्म के लोग साल में एक बार यहां पूजा करने आते हैं, हिंदू धर्म के लोगों का ये आस्था का केंद्र माना जाता है, हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नई संसद के डिजाइन से मिलते-जुलते बीजामंडल मंदिर को मस्जिद बताया है, ऐसे में हिंदू पक्ष के लोग इसे अनलॅाक करने की भी मांग कर रहे हैं और इसे मंदिर होने का दावा कर रहे हैं, आज फिर हिंदूधर्म के लोग पूजा - अर्चना करने का ऐलान कर चुके हैं, ऐसे किसी भी तरह की कोई अव्यवस्था न हो इसके लिए पहले से ही फोर्स तैनात कर दी गई है.
मांगी थी अनुमति
MP के विदिशा जिला स्थित बीजा मंडल मंदिर में हर साल नाग पंचमी के मौके पर हिंदू धर्म के लोग पूजा करते हैं. साल में एक बार होने वाली ये पूजा मंदिर के बाहर काफी सालों से होती आ रही है. इस बार नाग पंचमी के मौके पर हिंदू संगठन में मंदिर के अंदर पूजा के लिए अनुमति मांगी गई थी. इस पर ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने पत्र जारी करते हुए कहा कि बीजा मंडल मंदिर नहीं बल्कि मस्जिद है. ASI की ओर से बीजा मंडल को मस्जिद बताए जाने के बाद कलेक्टर ने मंदिर के अंदर पूजा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया है. साथ ही साथ कलेक्टर ने पुरातत्व विभाग का हवाला देते हुए इसे मस्जिद बताया और SP को निर्देश दिया है कि अगर कोई भी पूजा करने आए तो कार्रवाई की जाए.
क्या कहते हैं इतिहासकार
बीजा मंडल अनलॉक करने की लड़ाई लड़ रहे इतिहासकार गोविंद देवलिया बताते हैं कि बीजा मंडल विजय मंदिर है. इसका निर्माण 800 ईसवी सदी से 900 शताब्दी के बीच में हुआ है. 1200 से 1682 ई. के बीच में इस पर चार बार अटैक हुआ और आखिर में 1682 में औरंगजेब ने इसको तोपों से उड़ाकर इसी के मलवे से मस्जिद बना दिया. इसके बाद हिंदुओं ने मंदिर बनाकर इसमें पूजन शुरू की.1942 में विदिशा में बाढ़ में मुसलमानों की ईदगाह बह गई. मुस्लिम समाज ने आग्रह किया कि उन्हें नमाज अदा करने के लिए जगह दी जाए हिंदू पक्ष ने उन्हें नमाज अदा करने की जगह दी 1942 से 1965 के बीच यहां पर साल में एक बार मुस्लिम नमाज़ अदा करते थे जबकि हिंदू पक्ष पूजन करता था.1965 में मुसलमानों को ईदगाह के लिए अलग से जगह दे दी गई तब से मुस्लिम यहां नमाज अदा करने नहीं आते हैं. कई बार खुदाई हुई मूर्तियां हैं. इस पूरे बीजा मंडल में मूर्तियां ही मूर्तियां हैं मस्जिद होने का कोई सवाल खड़ा नहीं होता है.
औरंगजेब ने जैसे मस्जिद बनाया ASI उसे अब तक मस्जिद मान रहा है. इसके आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि बीजा मंडल को खोलना चाहिए अंदर से हिंदू पूजन होना चाहिए हैं. आज भी हिंदू पक्ष पूजन करेगा जल्द ही बीजा मंडल को अनलॉक करने के लिए कोर्ट जाने वाले हैं. साथ ही साथ कहा कि कलेक्टर ने जो पत्र में मस्जिद बताया है उससे हिंदुओ की भावनाएं आहत हुई है.
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