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अभिषेक गौर/नर्मदापुरम: प्रदेश की जीवन दायनी कही जाने वाली मां नर्मदा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए केंद्रीय जेल के कैदी इन दिनों सलाखों के पीछे से आटे के दीपक (दीये) बना रहे हैं. जाने अनजाने में किये जुर्म की सजा काट रहे, इन कैदियों के हाथों से हजारों दीपक बनाकर स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए श्रद्धालुओं के हाथों तक पहुंच चुके हैं. जिनमें आस्था की जोत जलाकर श्रद्धालु इन दीपकों को मां नर्मदा के पवित्र जल में छोड़ते हैं.
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बता दें कि दीपक जलने के बाद आटा मां नर्मदा के जल को प्रदूषित नहीं करता बल्कि मछलियों का पेट भर देता है. इस एक पंथ दो काज वाले फार्मूले से नर्मदा का प्रदूषण तो मुक्त हो ही रहा है, साथ में लोगों की आस्था भी यथावत बनी हुई है.
प्लास्टिक से हो रहा प्रदूषण
आस्था की नदी पुण्य सलिला मां नर्मदा को आस्था के दीपक ही प्रदूषित कर रहे हैं. श्रद्धालु प्लास्टिक के दीपक में जोत जलाकर पवित्र धार में छोड़ देते हैं. दीपक तो जल जाता है लेकिन प्लास्टिक नष्ट नहीं होता. जिससे वह जलीय जीवों के लिए परेशानी बन जाता है साथ ही मां नर्मदा के पवित्र जल को दूषित कर देता है.
कैदियों के हाथ से पवित्र होगी नदी
अब श्रद्धालुओं के हाथ में आटे का दीपक देने के लिए केंद्रीय जेल के बंदी सलाखों के पीछे आटे के दीपक बनाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. दीपक निर्माण के लिए आटा भी आमजन से लिया जा रहा है. जिसके लिए जेल प्रशासन ने आमजन से अपील की है.