मणिपुर में रतलाम के लाल की मौत, न शहीद का दर्जा न राजकीय सम्मान मिला, गांववालों में भयंकर गुस्सा
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मणिपुर में रतलाम के लाल की मौत, न शहीद का दर्जा न राजकीय सम्मान मिला, गांववालों में भयंकर गुस्सा

रतलाम जिले के मावता गांव के भारतीय सेना में पदस्थ जवान की मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार को गांव लाया गया. सेना के वाहन में पार्थिव शरीर को घर ले जाया गया. जहां परिजन सहित गांव के लोगों ने अंतिम दर्शन किए.

अंतिम दर्शन को उमड़े लोग

चंद्रशेखर सोलंकी/रतलाम: रतलाम जिले के मावता गांव के भारतीय सेना में पदस्थ जवान की मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार को गांव लाया गया. सेना के वाहन में पार्थिव शरीर को घर ले जाया गया. जहां परिजन सहित गांव के लोगों ने अंतिम दर्शन किए. इसके बाद जवान का अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन जवान को न तो शहीद का दर्जा दिया और न ही राजकीय सम्मान के साथ अंतिम क्रिया की गई. इस पर गांव के लोग और किसानों ने जमकर हंगामा किया. तीन घंटे तक हंगामा होने के बाद पुलिस ने किसी तरह से जवान का अंतिम संस्कार कराया. एक शहीद को मौत के बाद जो मान-सम्मान मिलना चाहिए, ग्रामीणों ने दिया.

मावता गांव के लोकेश कुमावत, 2019 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. मणिपुर के इंफाल में पदस्थ लोकेश की मौत की खबर परिजनों को गुरुवार को मिली, इसके बाद शुक्रवार को शव गांव पहुंचा. हालांकि जवान की मौत को लेकर आर्मी की ओर से घटनाक्रम की कोई जानकारी अब तक परिजनों को नहीं दी गयी. जवान का पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने पर परिजन व ग्रामीणों ने जमकर हांगमा किया और प्रशासन से शाहिद का दर्जा दिए जाने की मांग की. 3 घंटे हंगामा चला. इस दौरान कांग्रेस नेता डीपी धाकड़ भी पहुंचे और ग्रामीणों के प्रदर्शन में शामिल हुए. 

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प्रदर्शन के 3 घंटे बाद अधिकारियों के आश्वासन के बाद जवान के पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा निकाली गई. ग्रामीणों ने सम्मानपूर्वक जवान को पार्थिव देह पर पुष्पवर्षा करके श्रद्धांजलि दी. इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार विधि विधान से तो किया गया लेकिन जवान को गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया गया.

जवान का इस तरह से अंतिम संस्कार करने पर ग्रामीनो में रोष है. आर्मी और प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में कुछ कहने को तैयार नहीं हैं. सभी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. जवान की मौत को लेकर संशय बना हुआ है और हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर जवान की मौत कैसे हुई. हालांकि ग्रामीणों ने जवान को शहीद के बराबर पूरा सम्मान देकर अंतिम विदाई दी.

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