Somvati Amavasya: 30 मई को पड़ने वाली सोमवती अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती पड़ने से विशेष संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं इस दिन किस विधि से किस देवी-देवता का पूजा करने से हमारे जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बरकरार रहेगी.
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शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः (Somvati Amavasya) हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या यानी सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है. सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त में काल सर्पदोष, पितृदोष और अल्पायु दोष के निवारण के लिए पूजा की जाती है. इस दिन शनि यम और शंकर भगवान की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. ज्योतिषों की माने तो इस बार की अमावस्या यानी 30 मई को पड़ने वाली अमावस्या पर करीब 30 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है. इस दिन सोमवती अमावस्या के साथ शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है. इस दौरान शनि देव कुंभ राशि में होंगे जिससे सर्वाद्ध सिद्धि योग भी बन रहा है. आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या पर कब और किस विधि से करेंगे पूजा.
सोमवती अमावस्या पर करें ये खास उपाय
सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पितरों के तर्पण के लिए पीपल के पेड़ में दूध में जल और काला तिल मिलाकर चढ़ाने से पृतिदोष का प्रभाव खत्म हो जाता है. इस दिन किया गए दान बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन गरीबों को दिए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
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शनि देव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि देव का जन्म हुआ था. इसलिए हर साल इस दिन शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन नीले फूल, फल, सिंदूर, कुमकुम और अक्षत शनि देव को चढ़ाएं और सरसों के तेल में दीपक जलाकर शनि देव के प्रतिमा के सामने रख दें. इसके बाद शनि देव का ध्यान करते समय 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप व शनि चालीसा का पाठ करें. जिसके कुंडली में शनि के की साढ़े साती या ढ्यैया है. वो लोग इस दिन काले तिल, काले उड़द का दान करें. साथ ही जरूरत मंदों को भोजन कराएं. ऐसा करने से शनि का प्रभाव खत्म हो जाता है.
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वट सावित्री व्रत पर इस विधि से करें पूजा
वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को पड़ता है. इस बार अमावस्या तिथि 30 मई को है. इस बार सोमवती अमावस्या के दिन पड़ने से वट सावित्री व्रत पर खास संयोग बन रहा है. इस दिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रख बरगद के पेड़ की पूजा करती है. इस दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में जल चढ़ाएं कर कच्चे सूते को बरगद के पेड़ में सात बार परिक्रमा करते हुए बाधा जाता है. मान्यता है कि जो महिलाएं इस दिन वट सावित्री व्रत रख कर विधि विधान से पूजा करती हैं. उन्हें अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है. इस दिन व्रत रहने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है.
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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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