10 साल में नहीं बना सपनों का स्विमिंग पूल, निगम की लापरवाही से जनता के पैसों की बर्बादी
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10 साल में नहीं बना सपनों का स्विमिंग पूल, निगम की लापरवाही से जनता के पैसों की बर्बादी

खंडवा जनभागीदारी से बन रहे स्विमिंग पूल को 10 साल बीत गए, लेकिन आज कर ये बन नहीं पाया. उल्टा जो काम हुआ था वह भी बर्बाद हो गया.

10 साल में नहीं बना सपनों का स्विमिंग पूल, निगम की लापरवाही से जनता के पैसों की बर्बादी

प्रमोद सिन्हा/खंडवा: सरकारी पैसों की बर्बादी होते हुए तो आपने देखा होगा, लेकिन जनभागीदारी से इकट्ठा हुए जनता के पैसे की बर्बादी खंडवा में हो रही है. यहां जनभागीदारी से बन रहे स्विमिंग पूल को 10 साल बीत गए, लेकिन आज कर ये बन नहीं पाया. उल्टा जो काम हुआ था वह भी बर्बाद हो गया. नगर निगम के इंजीनियर और कमिश्नर का कहना है कि लागत बढ़ गई है पैसा है नहीं, शासन से पैसा लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. यदि पैसा आ जाएगा तो काम भी शुरू हो जाएगा.

तत्कालीन कलेक्टर ने देखा था सपना
आज से 10 साल पहले 2012 में खंडवा के तत्कालीन कलेक्टर कवींद्र कियावत ने खंडवा में एक स्विमिंग पूल बनाने का सपना देखा. उन्होंने व्यापारियों और प्रतिष्ठित लोगों को भी यह सपना दिखाया और जन सहयोग से पैसा इकट्ठा करने की बात कही. उन्होंने कहा कि जितना पैसा जनता से ईखट्टा होगा उतना ही सरकारी पैसा मिलाकर एक अच्छा स्विमिंग पूल बनाया जाएगा.

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जन सहयोग से जुड़े थे 65 लाख
लोगों ने 25000 रुपए प्रति सदस्य के हिसाब से चंदा इकट्ठा किया. इस तरह लगभग 200 लोगों ने 65 लाख रुपए इकट्ठे हुए. लोगों ने यह सोचकर दिल खोलकर चंद दिया था कि उनके बच्चे तैरकर अपने आप को फिट और स्वस्थ रख सकेंगे, लेकिन इन लोगों का यह सपना अधूरा ही रह गया. आज चंदा देने वाले सभी व्यापारी अपने पैसे की बर्बादी होता देख मन मसोसकर रह जाते हैं. क्योंकि व्यापारी है प्रशासन से पंगा ले नहीं सकते.

बनाई गई थी संस्था
जनभागीदारी से पैसा इकट्ठा करने के बाद खंडवा विकास समिति नाम की एक संस्था भी बनी जिसे रजिस्टर्ड करवाया गया. इसी संस्था के माध्यम से पीडब्ल्यूडी विभाग को स्विमिंग पूल बनाने का काम सौंपा. 2014 में यह स्विमिंग पूल बनाना प्रारंभ हुआ, जितना पैसा था उतना लग गया. कास्ट बढ़ने के कारण पैसे की कमी आई तो काम रुक गया. बाद में पीडब्ल्यूडी ने यह काम नगर निगम को सौंप दिया.

भरभरा कर गिर गई पूल की छत
नगर निगम के अधिकारियों ने भी अपनी मर्जी से इसमें काम करवाया ठेकेदार बदलते रहे. दो साल पहले इस स्विमिंग पूल की छत भरभरा कर गिर गई, जिससे स्वीमिंग पूल में लगी टाइल्स और वॉटर रीसाइकलिंग सिस्टम टूट गया. तब से अभी तक यह स्विमिंग पूल विरान पड़ा हुआ है. देख रेख नहीं होने की वजह से यहां खरपतवार उग गई है. युवा कांग्रेसियों ने स्विमिंग पुल के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए.

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