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प्रमोद शर्मा/भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव में अब मुश्लिक से नौ-दस महीने शेष बचे हैं. मध्यप्रदेश में दोनों ही प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी हैं. कांग्रेस जहां नई घोषणाएं कर रही हैं तो वहीं शिवराज सरकार धार्मिक स्थलों के अलावा अब प्रदेश के पुजारियों को साधने की तैयारी कर रही है. जिसे लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है.
दरअसल चुनावी साल में मंदिरों के पुजारियों को शिवराज सरकार ने साधने की कोशिश की है. इसके लिए प्रदेश के 21 हजार पुजारियों मंदिर संचालन के लिए प्रशिक्षण और संवाद शिवराज सरकार करेगी. इसके लिए धार्मिक पर्यटन और धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग प्रदेश भर के पुजारियों को प्रशिक्षित करेगा.
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कांग्रेस ने साधा निशाना
सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने एतराज जताया है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने सरकार पर पुजारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश भर के मंदिरों की जमीनों पर अतिक्रमण हो गया है. सरकार अतिक्रमण हटा नहीं पा रही है. पुजारियों का मानदेय कमलनाथ सरकार ने बढ़ाया था. पुजारियों के लिए कभी भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया. अब जब चुनाव आ रहे हैं तो पुजारियों के आंकड़े इकठ्ठे करने में भाजपा जुट गई है. भाजपा पुजारियों के सहारे भाजपा अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी है.
भाजपा ने किया पलटवार
भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा बीजेपी धार्मिक आस्था और आस्था से जुड़े लोगों का सम्मान करती है. मंदिरों के संचालन की व्यवस्था है. इसके लिए मंदिर के पुजारियों से संवाद और यह प्रशिक्षण जैसा कार्यक्रम है. पुजारियों को सरकार की योजनाओं से अवगत कराना उनसे संवाद करना उनकी मांगों को लेकर चर्चा करना यह कार्यक्रम है. कांग्रेस धर्म विरोधी और पुजारी विरोधी पार्टी है.
धर्म से खुलेगा सत्ता का रास्ता!!
मंदिर समाज के संस्कार केंद्र होते हैं. मंदिर के प्रति समाज की भूमिका और समाज में मंदिर को महत्वपूर्ण स्थान है, इसीलिए पुजारियों को प्रशिक्षित कर धार्मिक आस्था से जुड़े लोगों को सरकार की जोड़ने मंशा है. वहीं एक रिपोर्ट की माने तो शिवराज सरकार 2024 तक धार्मिक स्थलों पर हो रहे कामों, इवेंट, मेलों और तीर्थ यात्राओं पर करीब 4 हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाली है. इससे साफ होता है कि बीजेपी का एजेंडा एक दम क्लियर है.