नगर भ्रमण पर निकलें बाबा महाकाल! जानिए कब-कब निकलती है शाही सवारी
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नगर भ्रमण पर निकलें बाबा महाकाल! जानिए कब-कब निकलती है शाही सवारी

कार्तिक माह के दूसरे सोमवार पर राजसी ठाठ बाठ के साथ बाबा महाकाल प्रज्ञा का हाल जानने निकले. इस दौरान मंदिर के पुजारी के साथ शासकीय अधिकारियों ने भी बाबा महाकाल के पालकी को कंधा दिया.

नगर भ्रमण पर निकलें बाबा महाकाल! जानिए कब-कब निकलती है शाही सवारी

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: विश्व प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल समय समय पर अपने भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते रहते है, श्रावण, भादौ माह, दशहरा पर्व व दीपवाली के बाद कार्तिक अगहन माह के दूसरे सोमवार पर बाबा महाकाल ठीक शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण से शाही ठाठ बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकलें. सवारी निकलने से पूर्व मंदिर प्रांगण में शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा ने बाबा का पूजन किया पूजन में एडीएम संतोष टैगोर, एएसपी इंद्रजीत बाकलवार व अन्य अधिकारियों ने पालकी को कंधा देकर आगे बढ़ाया.

बता दें कि सवारी तय समय 4 बजे मंदिर से रवाना हुई, आशीष पुजारी ने कहा मंदिर शिव और वैष्णव के हिसाब से चलता है. कार्तिक अगहन माह में शिव विष्णु की पूजा का महत्व है. आज चतुर्दशी व पूर्णिमा होने से इस दिन का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है. बड़ी संख्या में आज लोग महाकाल नगरी में तीर्थ दर्शन को उमड़ते हैं.

बाबा को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
दरअसल विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग उज्जैन के बाबा महाकाल ही एक मात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग है, जो समय समय पर भक्तों का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते रहते हैं. बाबा महाकाल सावन-भादौ माह, दशहरा व दीपावली के बाद आज कार्तिक माह के दूसरे सोमवार पर नगर भ्रमण पर निकले, जिसमें हर बार की तहर सर्व प्रथम मंदिर प्रांगण में बाबा का पूजन अभिषेक मंदिर के पुजारी द्वारा सम्पन्न किया गया व आरती के पश्चात ठीक 4 बजे मंदिर प्रांगण से बाबा को नगर भ्रमण के लिए ठाठ बाट के साथ पालकी में सवार किया गया, "मंदिर के मुख्य गेट पर सबसे पहले बाबा को पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, बड़ी संख्या में भक्त जन शामिल हुए हर हर महादेव के जय कारो संग फूलों की वर्षा की पालकी पर हुई. नियम अनुसार तय रुट से शिप्रा नदी तक पहुंची व वहां बाबा का पूजन अभिषेक किया गया, जिसके बाद दोबारा बाबा को पालकी में ही मंदिर लाया गया सवारी 6 बजे मंदिर लौटी.

जानिए कब-कब निकलेगी सवाही
मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि महाकाल का मंदिर शिव और विष्णु के हिसाब से चलता है. शिव और कृष्ण रूप में विष्णु की पूजा का महत्व है. कार्तिक माह की यह दूसरी सवारी है, जो शाम 4 बजे निकली और 6 बजे लौटी कार्तिक-अगहन माह में बाबा महाकाल की 5 सवारियां निकाली जाएंगी, जिसमें प्रथम सवारी आज 31अक्टूम्बर को निकली, द्वितीय सवारी बीती रात 6 नवंबर को हरि हर मिलन रूप में निकली व तृतीय सवारी 7 नवंबर की शाम 4 बजे निकली, चतुर्थ सवारी 14 नवंबर को व अंतिम शाही सवारी 21 नवंबर को निकलेगी.

जानिए सवारी का रूट
बाबा महाकाल मंदिर से सवारी महाकाल घाटी, गुदरी, बक्शी बाजार, कहारवाड़ी के बाद सीधा श्री राम घाट पॅहुची जहां बाबा का पूजन अभिषेक हुआ और उसके बाद सवारी रामनुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चोराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार व गुदरी होते हुए शाम 6 बजे मंदिर लौटी. इस दौरान सवारी में भक्तो का जानसेलाब उमड़ा हर हर महादेव के जयकारों की नगरी गूंज उठी. भक्तों ने दूर से फूलों की वर्षा भी की.

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