MP News: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में एक ऐसा गांव है, जहां गणेश चतुर्थी के मौके पर किसी भी घर या पंडाल में बप्पा की मूर्ति की स्थापना नहीं की जाती है. मान्यता है ऐसा करने से गांव में कुछ न कुछ अशुभ-अनिष्ट हो सकता है. जानिए फिर इस गांव में गणेश उत्सव कैसे मनाया जाता है.
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Ganesh Pratima Sthapna is Ashubh On Ganesh Utsav: पूरे देश में गणेश चतुर्थी के मौके पर धूमधाम से बप्पा का स्वागत किया जाता है. घर-घर और गली-मोहल्ले के पंडालों में गणेश मूर्ति की स्थापना की जाती है. लेकिन मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के बाचापानी गांव में आज भी गणेश चतुर्थी के मौके पर घरों या पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती है. न ही यहां के लोग पूजा करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से कुछ न कुछ अनिष्ट (अशुभ) हो सकता है. यहां ग्रामीण अलग ही तरीके से गणेश उत्सव मनाते हैं.
नहीं सजते पंडाल, गणेश प्रतिमा की स्थापना है अशुभ
पूरे देश में इन दिनों गणेश उत्सव की धूम है, लेकिन मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले का एक गांव बाचापानी ऐसा है जहां आज भी गणेश चतुर्थी के अवसर पर घर या पंडाल में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती है. न ही इस गांव में बप्पा की पूजा- अर्चना की जाती है. ग्रामीणों का ऐसा मानना है कि यहां पर गणेश प्रतिमा की स्थापना और पूजा-अर्चना करने से कुछ न कुछ अनिष्ट हो सकता है. यही कारण है कि कई सालों से ये परंपरा चली आ रही है.
श्री गणेश धाम
गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां गांव में स्थित अति प्राचीन मंदिर श्री गणेश धाम में तिल-तिल बढ़ने वाले गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. ग्रामीणों का ऐसा मानना है कि श्री गणेश धाम मंदिर में स्थित गणेश की प्रतिमा तिल-तिल बढ़ती है. हर साल तिल चौथ पर भगवान गणेश की प्रतिमा एक तिल बढ़ती है इसलिए इन्हें तिल गणेश कहा जाता है.
400 साल पुराना मंदिर
ग्रामीणों का कहना है कि बाचापानी स्थित श्री गणेश धाम मंदिर करीब 400 साल पुराना है. मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा की एक ऐतिहासिक विशेषता है. यहां भगवान गणेश की प्रतिमा एक दंत दाहिनी ओर सूंड़ वाली प्रतिमा है. दाहिनी ओर सूंड़ वाली प्रतिमा बहुत ही बिरली होती है. ऐसी प्रतिमा मध्य प्रदेश में कहीं भी नहीं है. यह प्रतिमा एक ही पत्थर से बनाई गई है. मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा के साथ उनका पूरा परिवार है. यहां मां रिद्धि-सिद्धि, मूषक और शुभ-लाभ भी मंदिर में स्थापित हैं.
क्या है मान्यता
ग्रामीणों का कहना है कि बाचापानी स्थित श्री गणेश धाम मंदिर में मकर संक्रांति की तिल चौथ पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. नर्मदापुरम सहित आसपास के जिले से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मेले में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. ग्रामीणों के अनुसार इस मंदिर में विराजित तिल गणेश भगवान की मूर्ति नर्मदा जी में प्रकट हुई थी. फतेहपुर के राजा ने भगवान गणेश की प्रतिमा को उठाकर अपने महल में ले जाने का प्रयास किया. जब राजा विधि-विधान से मूर्ति की पूजा-अर्चना कर मूर्ति को हाथी पर बैठाकर ले जाने लगे तो वे हिल नहीं पाए. आखिरकार राजा को मजबूरन में मूर्ति को इसी स्थान पर छोड़ना पड़ा.
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कैसे मनाते हैं गणेश उत्सव
बाचापानी में स्थित गणेश धाम में गणेश उत्सव के दौरान भारी भीड़ रहती है. यहां विधि-विधान से गणेश उत्सव के 10 दिनों तक मंदिर में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. लेकिन यहां कोई भी ग्रामीण घर या पंडाल में गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना नहीं करता है. ग्रामीणों का कहना है कि कुछ सालों पहले गणेश चतुर्थी के अवसर पर कुछ लोगों ने घर में प्रतिमा की स्थापना की थी. तब उन लोगों के साथ अनिष्ट हुआ था. दरअसल, नाथ संप्रदाय के कुछ लोग गांव में आकर रहने लगे थे. वे लोग अपने घर में गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति लाकर रख लिए थे. दो दिन बाद जब उनके घर में आग लगी तो पता चला कि यहां पर गणेश जी की प्रतिमा रखी हुई थी. इसके बाद ग्रामीणों ने गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया और मंदिर में भगवान तिल गणेश से क्षमा-याचना की. यही कारण कहै कि ग्रामीणों द्वारा गांव में गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना नहीं की जाती है.
इनपुट- नर्मदापुरम से अभिषेक गौर की रिपोर्ट, ZEE मीडिया
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