MP में 5 जुलाई से गहरा सकता है बिजली संकट, आर-पार की लड़ाई में दिख रहे कर्मचारी!
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MP में 5 जुलाई से गहरा सकता है बिजली संकट, आर-पार की लड़ाई में दिख रहे कर्मचारी!

Electricity Workers: मध्य प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने 30 जून तक संविदा और गृह जिला ट्रांसफर नीति लागू नहीं होने पर भोपाल में प्रदर्शन की चेतावनी दी है. यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने इस मामले में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को पत्र लिखा है. 

MP में 5 जुलाई से गहरा सकता है बिजली संकट, आर-पार की लड़ाई में दिख रहे कर्मचारी!

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से सरकार और कर्मचारियों के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है. साथ ही वे अपनी मांगों को लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे थे, जिसके बाद बिजली कर्मचारियों ने 30 जून तक संविदा और गृह जिला ट्रांसफर नीति लागू नहीं होने पर 5 जुलाई को राजधानी भोपाल में प्रदर्शन की चेतावनी दी है. इस मामले में यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को पत्र भी लिखा है. आंदोलन को लेकर भोपाल समेत अन्य जिलों में भी बैठकें हो रही हैं.
                       
फोरम के अध्यक्ष वीकेएस परिहार ने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि दोनों नीतियों को 30 जून तक लागू किया जाए. दरअसल, 11 महीने पहले संविदा नीति की घोषणा की गई थी, जो अब तक लागू नहीं की गई है. ऐसे में पूरे प्रदेश के संविदा बिजली कर्मचारी नाराज हैं. यदि 30 जून तक नीति लागू नहीं की गई तो 5 जुलाई को भोपाल के गोविंदपुरा स्थित बिजली मुख्यालय पर आंदोलन करेंगे. ऐसे में आम जनता के लिए बिजली संकट गहराने के आसार दिखाई दे रहे हैं.

आम जनता को उठानी पड़ सकती है परेशानी
बिजली कर्मियों के आंदोलन से आम जनता को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. सरकार और बिजली कर्मचारियों के बीच सहमति नहीं बनने के कारण इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ सकता है.  बिजली कर्मचारी संगठन के लोकेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव-2023 से पहले कई विभागों की महापंचायत बुलाकर कर्मचारियों की मांगें पूरी की थीं. 4 जुलाई 2023 को लाल परेड मैदान में संविदा कर्मचारियों की एक महापंचायत भी बुलाई गई थी. इसमें उन्होंने मंच से ही ऊर्जा विभाग की मेहनत की सराहना की थी.

संविदा कर्मचारी कर रहे हैं नीति लागू होने का इंतजार 
22 जुलाई को कैबिनेट ने संविदा नीति-2023 को मंजूरी दे दी थी. अधिकांश विभागों में नई संविदा नीति को सक्रियता से लागू किया गया. उधर, बिजली कंपनी में कार्यरत 6 हजार संविदा अधिकारी कर्मचारी 11 माह से नीति लागू होने का इंतजार कर रहे हैं. श्रीवास्तव ने आगे कहा कि ऊर्जा मंत्री तोमर और पावर मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक के साथ बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा गया था कि संविदा नीति में संशोधन करके जल्द ही नीति जारी की जानी चाहिए. आलम ये है कि 11 महीने बाद भी ऐसा नहीं हो सका है.

अध्यक्ष परिहार ने कहा कि जुलाई 2023 में संविदा नीति जारी की गई थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ. बिजली कंपनी में काम करने के दौरान आठ कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. आज तक उनके परिवार को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई है. बिजली कंपनी की गलत नीतियों का खामियाजा संविदा कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है.

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