हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा - यह धार्मिक विवाद नहीं!
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हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा - यह धार्मिक विवाद नहीं!

Hijab Controversy: सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि कॉलेज में ज्यादा कपड़े पहनना ड्रेस कोड का उल्लंघन नहीं है. धार्मिक वजहों से टारगेट किया जा रहा है. 

हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा - यह धार्मिक विवाद नहीं!

नई दिल्लीः कर्नाटक में हिजाब विवाद मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि हिजाब पहनना कोई जरूरी धार्मिक प्रैक्टिस नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सवाल उठता है कि क्या एक सेक्युलर देश में, जहां एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में एक ड्रेस कोड होता है, क्या वहां हिजाब पहनने को सही कहा जा सकता है?

कर्नाटक के हिजाब विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं थी. इन याचिकाओं पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना आप का धार्मिक अधिकार हो सकता है लेकिन क्या आप अपने इस अधिकार को स्कूल ले जा सकते हैं, जहां पहले से ही ड्रेस कोड लागू है? आप के पास हेड स्कार्फ पहनने का अधिकार है लेकिन क्या आप स्कूल में हिजाब पहनकर जा सकते हैं?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि कॉलेज में ज्यादा कपड़े पहनना ड्रेस कोड का उल्लंघन नहीं है. धार्मिक वजहों से टारगेट किया जा रहा है. इसलिए विवाद पैदा किया जा रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कोई लड़की मिनी स्कर्ट पहनकर कॉलेज आ सकती है? कोड लागू ना करें तो इससे कुछ भी पहनने की आजादी मिल जाएगी?

बता दें कि हिजाब विवाद में हाईकोर्ट ने 14 मार्च को फैसला देते हुए कहा था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. स्टूडेंट्स, स्कूल या कॉलेज के तय यूनिफॉर्म को पहनने से इंकार नहीं कर सकते. हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि स्कूल या कॉलेज को अपनी यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है. इसके बाद हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी थीं. हालांकि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए. 

क्या है विवाद
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरुआत इसी साल जनवरी में हुई थी. जहां एक सरकारी कॉलेज में लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोक दिया गया था. कॉलेज मैनेजमेंट ने इसे ड्रेस कोड के खिलाफ बताया था. इसके बाद कर्नाटक के कई अन्य शहरों में भी यह हिजाब विवाद फैल गया था. 

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