आम जनता महंगाई से परेशान है, दूसरी ओर सरकार ईंधन की कीमतें बढ़ने का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल प्राइस में उछाल को बता रही है. क्या वाकई ऐसा है या आपको छला जा रहा? जानिए इस एक्सप्लेनर में...
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नई दिल्ली: पूरे देश में पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel Price Hike) की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. मध्य प्रदेश के कई जिलों में तो पेट्रोल के दाम ने सैकड़ा जड़ दिया है. दूसरी ओर एलपीजी सिलेंडर के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. राजधानी दिल्ली में गैर-सब्सिडी वाले घरेलू रसोई गैस सिलेंडर (Non-Subsidised LPG Cylinder) के दाम 50 रुपए बढ़कर 769 रुपए प्रति सिलेंडर पहुंच गए हैं. ईंधन की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी बढ़ रहा है. इसकी वजह से सब्जियों के दाम में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
सरकार और ऑयल कंपनियों क्रूड ऑयल के बहाने कर रही हैं खेल
आम जनता महंगाई से परेशान है, दूसरी ओर सरकार ईंधन की कीमतें बढ़ने का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल प्राइस (Crude Oil Price in International Market) में उछाल को बता रही है. केंद्र सरकार की मानें तो पिछले साल अक्टूबर से लेकर अब तक क्रूड ऑयल की कीमत में दोगुने का उछाल आया है. वर्तमान में एक बैरल क्रूड ऑयल की कीमत 63.3 डालर है, जो अक्टूबर 2020 में 40 डालर प्रति बैरल के आस पास हुआ करता था. इसकी वजह से तेल कंपनियां ईंधन का दाम बढ़ाने के लिए मजबूर हैं. हालांकि, सरकार की इस बात में आधी सच्चाई है. आधा सच कुछ और है जो हम आपको विस्तार से इस लेख में बता रहे हैं...
जनवरी 2021 की तुलना में इस साल क्रूड ऑयल सस्ता, फिर क्यों?
भारतीय उपभोक्ता तेल पिछले साल जनवरी की तुलना में इस साल ईंधन के लिए बहुत ज्यादा कीमतें चुका रहे हैं. लेकिन क्रूड ऑयल की कीमतें पिछले साल जनवरी की अपेक्षा अभी कम ही हैं. अधिकतर देशों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें उसी लेवल पर पहुंची हैं जितनी कोविड काल से पहले थीं, लेकिन भारत में सीन इसके उलट है. अगर आप भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum & Natural Gas) की पॉलिसी पर ध्यान दें तो हमारे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें डीकंट्रोल्ड हैं. यानी सरकार की बजाय ऑयल कंपनियां ही ईंधन की कीमतें तय करती हैं.
जानिए सरकारों द्वारा कैसे छले जा रहे हैं पेट्रोल-डीजल उपभोक्ता
इस तरह यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज किया जाता है तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने चाहिए. यदि फरवरी 2020 से दिसंबर तक की अवधि को ध्यान में रखें तो कोरोना के कारण दुनिया में लॉकडाउन की स्थिति बनी थी. ऐसे में ईंधन की खपत कम हुई थी और कच्चे तेल की कीमतों में बेतहासा गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन इसकी तुलना में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट नहीं हुई. आप सोचेंगे ऐसा क्यों हुआ? हम आपको बता रहे हैं इसकी वजह.
फ्यूल प्राइस को डीकंट्रोल्ड करने से उपभोक्ताओं को फायदा हुआ?
दरअसल, हमारे देश में फ्यूल प्राइस को डीकंट्रोल्ड (Fuel Price Decontrolled) तो कर दिया गया है, लेकिन इसका एकतरफा फायदा सरकार और ऑयल कंपनियों को ही मिलता है न कि उपभोक्ताओं को. क्रूड ऑयल की कीमतें जब बढ़ती हैं तो इसका हवाला देकर ईंधन की कीमतें बढ़ा दी जाती हैं, लेकिन जब क्रूड ऑयल सस्ता होता है तो इसका लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचने दिया जाता. दिखावे के लिए एक काध रुपए की कटौती कर दी जाती है. सरकार ईंधन पर कई तरह के टैक्स लगाकर अपना खजाना भरती है. इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को ही भुगतना पड़ता है.
कोरोना काल में क्रूड ऑयल की कीमतें धड़ाम थीं, लेकिन क्या हुआ?
जब कोरोना महामारी के कारण अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें धड़ाम हुईं तो भारत की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (Oil Marketing Companies of India) ने रिकॉर्ड 82 दिनों तक रोजाना होने वाले प्राइस रिविजन को रोककर रखा. कारण कि रिविजन करने पर उन्हें क्रूड ऑयल के ही प्रोपोर्शन में पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने पड़ते. इसलिए प्राइस रिविजन न करके उपभोक्ताओं से ज्यादा दाम वूसला जाता रहा, फायदा हुआ तो सिर्फ सरकार और तेल कंपनियों का.
अन्य देशों में ईंधन की कीमतें कम हुई हैं, भारत में क्यों बढ़ी हैं?
जनवरी 2020 में भारत में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 1.03 यूएस डालर थी, जो जनवरी 2021 में बढ़कर 1.17 यूएस डालर प्रति लीटर पहुंच गई. वहीं भारत की तुलना में अन्य देशों में जनवरी 2020 के मुकाबले जनवरी 2021 में पेट्रोल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई. चीन में 0.72 से 0.71, यूएसए में 0.67 से 0.71, ब्राजील में 1.07 से 0.85, यूनाइटेड किंगडम में 1.66 से 1.63 यूएस डालर प्रति लीटर पेट्रोल की कीमतें रहीं. यदि क्रूड ऑयल की कीमतें देखें तो जनवरी 2020 में यह 63.65 यूएस डालर प्रति बैरल थी, जनवरी 2021 में घटकर 54.77 प्रति बैरल डालर है.
जानिए आपसे कितना टैक्स वसूल रही हैं केंद्र और राज्य सरकारें
अब आते हैं टैक्स पार्ट पर. जनवरी 2020 में एक लीटर पेट्रोल की कीमत का 26.6% और डीजल का 23.3% एक्साइज ड्यूटी था. फरवरी 2021 में यह बढ़कर क्रमश: 37.1% और 40.1% है. आसान भाषा में समझें तो यदि आप एक लीटर पेट्रोल के लिए 100 रुपए चुकाते हैं तो इसमें 37.1 रुपए एक्साइज ड्यूटी होता है. इसी तरह यदि एक लीटर डीजल के लिए 100 रुपए चुकाते हैं तो इसमें 40.1% रुपए एक्साइज ड्यूटी होता है. इसमें केंद्र और राज्य दोनों की एक्साइज ड्यूटी शामिल है. यही हाल अन्य राज्यों का भी है.
फिलहाल पेट्रोल-डीजल की कीमतों में किसी राहत की उम्मीद नहीं
सिर्फ केंद्र सरकार की बात करें तो पिछले साल जनवरी में प्रति लीटर पेट्रोल पर 19.38% से बढ़कर जनवरी 2021 में यह 32.98% है. वहीं डीजल पर जनवरी 2020 में 15.83% से बढ़कर जनवरी 2021 में 31.83% है. वर्तमान में राजधानी दिल्ली में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य द्वारा लगाए गए टैक्स इनकी बेस प्राइज के क्रमश: 180% एवं 141% हैं. उपभोक्ताओं को हाल फिलहाल इसमें कोई राहत भी मिलते नहीं दिख रही है. क्योंकि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बजट सत्र के दौरान संसद में कहा था कि सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बारे में अभी नहीं सोच रही है.
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