Mumbai News: रिश्वत की 25 लाख रुपये की रकम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लिए परेशानी का सबब बन गई है. क्योंकि रिश्वत की इस रकम को लेने वाले ने इसका हिसाब कुछ ऐसा दिया है कि ईडी के लिए इसको साबित करना टेढ़ी खीर है.
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Mumbai News: रिश्वत की 25 लाख रुपये की रकम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लिए परेशानी का सबब बन गई है. क्योंकि रिश्वत की इस रकम को लेने वाले ने इसका हिसाब कुछ ऐसा दिया है कि ईडी के लिए इसको साबित करना टेढ़ी खीर है. रिश्वत लेने वाले ने ईडी को बताया है कि उसने पूरी रकम डांस बार और बालाओं पर खर्च कर दिए. मामला मुंबई कोविड सेंटर घोटाले से जुड़ा है.
ईडी सूत्रों के मुताबिक आरोपी सिविक कर्मचारी को रिश्वत में मोटी रकम मिली थी. ईडी ने जब उससे पूछताछ शुरू की तो उसने बताया कि नाइट क्लबों में जाना उसकी कमजोरी है. उसने यह भी बताया कि मुंबई और ठाणे में स्थित डांस बारों में उसने रिश्वत के 25 लाख रु उड़ा दिए. इस तरह के दावे को साबित करना आसान नहीं है. ईडी को संबंधित डांस बार में खुद जाकर सबूत इकट्ठे करने पड़ सकते हैं.
ईडी सूत्रों के मुताबिक आरोपी संदिग्ध को अनुबंध की शर्तों का अनुपालन ना करने और कोविड केंद्र घोटाले में मिलीभगत के बदले रकम मिली थी. पकड़े जाने के बाद ईडी ने उससे रिश्वत में मिली रकम के बारे में पूछताछ की. ईडी यह भी पता लगा रही है कि आरोपी ने नकदी के बदले पोस्ट डेटेड चेक का भी इस्तेमाल किया है. इसके लिए उन बार डांसरों और जगहों की सूची बनाई जा रही है जहां के नाम आरोपी ने बताए हैं. जल्द ही ईडी इन स्थानों से आरोपी के दावों की पुष्टि के सबूत इकट्ठा करेगी.
आरोपी फर्म, लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज (एलएचएमएस) को वर्ली और दहिसर में जंबो कोविड केंद्रों में चिकित्सा मैनपावर की सप्लाई करने का ठेका मिला था. फर्म ने फर्जी मैनपावर सप्लाई कर दिया. फर्म पर मैनपावर अनुबंध के हिस्से के रूप में बीएमसी से लगभग 231.84 करोड़ प्राप्त करने का आरोप है, भले ही केंद्रों पर 50 से 60% मेडिकल कर्मचारी हों. जांच में यह भी पाया गया कि बीएमसी से प्राप्त करोड़ों रुपये की धनराशि कुछ व्यक्तियों और फर्जी कंपनियों को दे दी गई और अनुबंध में निर्दिष्ट उद्देश्यों पर खर्च नहीं की गई. एजेंसी ऐसे धन के अंतिम प्राप्तकर्ताओं को स्थापित करने का प्रयास कर रही है.
जांच में कथित तौर पर फर्म के कर्मचारियों द्वारा बीएमसी को जमा की गई उपस्थिति शीट और दस्तावेजों में भारी विसंगतियां सामने आईं. कथित तौर पर एलएचएमएस के जंबो कोविड केंद्रों में लगे डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों को पत्र जारी किए गए थे, लेकिन इनमें से अधिकतर पत्र कथित तौर पर डाक अधिकारियों को बिना डिलीवर किए वापस कर दिए गए थे. कुछ डॉक्टरों/कर्मचारियों ने कभी भी इन कोविड केंद्रों में काम नहीं किया है, लेकिन साक्षात्कार के लिए उपस्थित हुए थे और अपने व्यक्तिगत रिकॉर्ड फर्म को जमा किए थे.
फर्म ने इसी रिकार्ड का इस्तेमाल कर उनकी उपस्थिति दिखा दी थी. सूत्रों ने कहा कि हेराफेरी का उद्देश्य कथित तौर पर यह दिखाना था कि डॉक्टर-से-रोगी अनुपात अनुबंध के हिस्से के रूप में रुचि की अभिव्यक्ति में उल्लिखित विनिर्देशों के अनुसार बनाए रखा जा रहा था. ईडी का मामला आज़ाद मैदान पुलिस द्वारा अगस्त 2022 में एलएचएमएस के भागीदारों के खिलाफ दर्ज की गई एक एफआईआर पर आधारित है.
एफआईआर के मुताबिक, कंपनी ने बीएमसी को कथित तौर पर जाली दस्तावेज जमा किए थे और उसे चिकित्सा सुविधा में जनशक्ति उपलब्ध कराने का कोई अनुभव नहीं था. इसके बावजूद बीएमसी ने कंपनी को ठेका दे दिया. यह भी आरोप लगाया गया कि कंपनी अपंजीकृत थी और बीएमसी को सौंपी गई पार्टनरशिप डीड संदिग्ध थी.