Jammu Kashmir Elections: असेंबली चुनाव से पहले अलग क्यों हो गए हैं 'गुपकार' के साथी? बहुत दूर तक गड़ा रखी हैं निगाहें
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Jammu Kashmir Elections: असेंबली चुनाव से पहले अलग क्यों हो गए हैं 'गुपकार' के साथी? बहुत दूर तक गड़ा रखी हैं निगाहें

Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: जम्मू कश्मीर में 10 साल के अंतराल के बाद असेंबली चुनाव होने जा रहे हैं. इसे लेकर प्रदेश में जबरदस्त उत्साह का माहौल बना हुआ है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तो अपना चुनावी घोषणापत्र भी जारी कर दिया है.

 

Jammu Kashmir Elections: असेंबली चुनाव से पहले अलग क्यों हो गए हैं 'गुपकार' के साथी? बहुत दूर तक गड़ा रखी हैं निगाहें

Manifestos of Political Parties in Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक गरमाहट शुरू हो गई है. कहीं दल बदले जा रहे है तो कहीं मतदाताओं को रिझाने के लिए मुफ्त सुविधाओं का ऐलान होता दिख रहा है. भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस ने गठबंधन के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं तो नेशनल कांफ्रेंस ने मुफ़्त बिजली पानी शिक्षा का वादा कर डाला है.  

जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद होने जा रहे चुनाव

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, इसलिए राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर हलचल मच गई है. घोषणा के कुछ ही दिनों के भीतर कई राजनीतिक नेताओं ने दल बदल लिया है और अलग-अलग राजनीतिक दलों में शामिल हो गए हैं. वरिष्ठ नेता ताज मोहिउद्दीन एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं और गुलाम नबी आजाद की डीपीएपी छोड़ दी है. 

पूर्व मंत्री और अपनी पार्टी के नेता भी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. इस राजनीतिक उथल पुथल के बीच कांग्रेस ने भी अपनी जम्मू कश्मीर इकाई में बदलाव किया है और जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष को बदल दिया है. नए अध्यक्ष ने कश्मीर पहुंचते ही पार्टी कार्यालय में पार्टी समर्थकों को संबोधित किया और यह ऐलान कर दिया कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर में किसी भी समान विचारधारा वाले दल से गठबंधन के लिए तैयार है. यह भी कहा कि कांग्रेस की केंद्रीय कमेटी नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन करने के लिए बात कर रही है.        

हमारे दरवाजे सभी पार्टियों के लिए खुले- कांग्रेस

जम्मू कश्मीर के नए प्रदेश अध्यक्ष तारिक कर्रा ने कहा, ''जहां तक गठबंधन की बात है, हम समान विचारधारा वाले लोगों या पार्टियों के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं. एनसी ने चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए सीधे दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से संपर्क किया है. अगर पार्टियों का मानना है कि हमें विभाजनकारी ताकतों और भाजपा को हराना है तो वे निश्चित रूप से कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगे और हम निश्चित रूप से सफल होंगे.'

इस बीच, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने आज श्रीनगर में पार्टी का घोषणापत्र जारी किया. घोषणापत्र में मुख्य मुद्दा अभी भी अनुच्छेद 370 और 35ए को रिस्टोर करना और राज्य का दर्जा वापस दिलाना है. उमर ने कहा कि इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. उमर अब्दुल्ला ने कहा, हमारा घोषणापत्र पद पर बैठे-बैठे तैयार नहीं किया गया, बल्कि लोगों की राय को ध्यान में रखकर बनाया गया है. यह हमारी राजनीतिक और कानूनी स्थिति की बहाली पर केंद्रित है, जो अनुच्छेद 370 और 35ए है. साथ ही राज्य का दर्जा बहाल करने के बारे में भी है.

हम 370 और 35ए को बहाल करवाएंगे- उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'हम उन सभी नए कानूनों को भी निरस्त करेंगे, जिनकी वजह से हमारी जमीनें छीनी जा रही हैं. इसमें जेलों में बंद लोगों के बारे में भी बात की गई है., हम सभी राजनीतिक कैदियों को माफी देंगे और पीएसए को निरस्त करेंगे.' उमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले तीन आदेशों में 370 को अपहोल्ड किया था. ऐसे में क्या हम एक आदेश को नहीं बदलवा सकते. हम यह लड़ाई निश्चित रूप से जारी रखेंगे.'

उमर ने अपनी पार्टी के घोषणापत्र के बारे में बताते हुए कहा, हम भारत-पाक वार्ता को प्रोत्साहन देंगे और जो अटल बिहारी वाजपेई और मनमोहन सिंह ने cbm बनाए थे, उनको रिस्टोर करवाएंगे. कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए काम करेंगे. विश्वविद्यालय तक सभी के लिए मुफ्त शिक्षा और हर घर के लिए 200 यूनिट फ्री बिजली देंगे.

परिसीमन के बाद प्रदेश में बढ़ गईं 7 सीटें

प्रदेश में जल्द ही होने जा रहे असेंबली चुनाव इस बार दिलचस्प होने की उम्मीद है. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यह पहला असेंबली चुनाव होगा. इस बार परिसीमन के बाद राज्य में 7 सीटें भी बढ़ी हैं. चुनावी पंडित मानते हैं कि कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस का पलड़ा भारी रह सकता है तो जम्मू में बीजेपी का. इसकी वजह ये है कि लोकसभा चुनाव में इन्हीं दो दलों का वोट शेयर सबसे ज्यादा रहा था. 

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कश्मीर के लोकसभा चुनाव में भले ही उमर अब्दुल्ला को हार मिली हो, लेकिन अगर जीते हुए इंजीनियर रशीद ने लोगों की उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं किया तो फिर लोग उमर अब्दुल्ला की ओर मुड़ सकते हैं. जम्मू कश्मीर की नब्ज पहचाने वाले मानते हैं कि क्षेत्रीय दल अकेले ही मैदान में आने की कोशिश करेंगे. इसकी वजह ये है कि अगर सत्ता में आने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाना पड़ा तो रास्ता खुला रहे. 

'जम्मू में बीजेपी तो कश्मीर में एनसी रहेंगी भारी'

वरिष्ठ पत्रकार रहीद राहिल कहते हैं कि चुनाव के वक़्त नेताओं का दल-बदल करना आम बात है. इस बार के समीकरणों से लग रहा है कि जम्मू में बीजेपी और कश्मीर में एनसी भारी साबित होंगी. गुलाम नबी आजाद का कश्मीर में असर बहुत कम रहेगा. यह भी संभावना बहुत कम है कि नेकां और पीडीपी आपस में गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगी. 

आज नेशनल कॉन्फ़्रेंस से  घोषणापत्र जारी किया तो पीडीपी और बीजेपी ने बैठक कर यह मंथन किया कि लोगों के पास क्या लेकर जाया जाए, जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों का समर्थन मिल सके और वे सरकार बनाने के लिए ठोस दावेदार बन जाएं. बताते चलें कि मोदी सरकार ने जब 5 अगस्त 2019 को प्रदेश से 370 हटाया था तो कांग्रेस, एनसी और पीडीपी ने मिलकर गुपकार गठबंधन बनाया था. हालांकि लोकसभा चुनाव आते- आते यह गठबंधन बिखर गया.

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