Maratha quota stir: सरकार की ओर से मनोज जरांगे की मांगों और भूख हड़ताल पर ध्यान नहीं देने से महाराष्ट्र का मराठा समुदाय आक्रामक होता जा रहा है. जरांगे का कहना है कि सरकार समय पर वादा नहीं पूरा कर रही है. इसके बाद मामला हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंचा था.
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Manoj Jarange Patil Maratha andolan: मराठा आरक्षण (Maratha reservation) के लिए मनोज जरांगे पाटिल का आंदोलन जारी है. मराठा आरक्षण को लेकर सरकार की ओर से जारी अध्यादेश को कानून में बदलने की मांग को लेकर जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल जारी है. गुरुवार को मुंबई हाइकोर्ट ने कहा, 'आंदोलन शांति के साथ जारी रह सकता है.' आपको बताते चलें कि जरांगे पाटिल के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका पर आज सुनवाई के बाद कोर्ट का ये आदेश आया है. जालना जिले के अंतरवाली सराती यहा आंदोलन शुरू है. मनोज अनशन पर बैठे है.
मांगे नहीं पूरा कर रही सरकार: मनोज जरांगे
मनोज जरांगे का अनशन बीते 12 दिन से चल रहा है. जरांगे का कहना है कि सरकार मांग को पूरा नहीं कर रही है. इसलिए आंदोलन तेज किया जाएगा. अब 24 फरवरी यानी शनिवार से आंदोलन शुरू किया जाएगा. आंदोलन के दौरान रास्ता रोको, अनशन किया जाएगा. कई जगह शुक्रवार से ही रास्ता रोकने की शुरुआत हो चुकी है. राज्य सरकार इसका विरोध कर रही है.
कोर्ट रूम LIVE
जरंगे पाटिल के आंदोलन कें खीलाफ एडवोकेट गुण रत्न सदावरते ने याचिका दाखिल की है. इस याचिका पर 13 मार्च को सुनवाई होने वाली थी. लेकिन राज्य सरकार ने एक अर्जी देकर सुनवाई आज रखी थी. आज हुई सुनवाई में मनोज पाटिल के तरफ से एडवोकेट विजय थोरात, याचिकाकर्ता एडवोकेट गुणरत्न सदावर्ते और राज्य सरकार के तरफ से एडवोकेट जनरल वीरेंद्र सराफ ने बहस की.
राज्य सरकार ने सुनवाई की अर्जी दी थी तो कोर्ट के आदेश पर बहस की शुरुआत राज्य सरकार के वकील वीरेंद्र सराफ ने की. उन्होंने कहा, 'मनोज जरांगे फिर से आंदोलन कर रहे है. हमने उनकी मांगे पूरी की है. जल्द ही कानून आने वाला है. प्रोसेस में है. फिर भी पाटिल आंदोलन कर रहे है. वो अनशन पर बैठे है. रास्ता रोको करने के आदेश दे रहे है. इससे राज्य की कानून व्यवस्था बिगड़ रही है.
जरांगे की दलील
मनोज जरांगे पाटिल की तरफ से एडवोकेट विजय थोरात ने बहस की. उन्होंने कहा, 'जरांगे अकेले नही है. मराठा आंदोलन समिति की तरफ से आंदोलन शुरू है. 5 से 10 हजार कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे है. समिति आंदोलन पुकारती है. मनोज खुद सब कुछ अकेला नहीं करता. इसलिए अकेले मनोज को जिम्मेदार ठहराना उचित नही होगा. मनोज का आंदोलन शांति पूर्वक है. उन्होंने रास्ता रोको करने के कोई आदेश नहीं दिए है. लोग खुद ही अपने तरीके से आंदोलन कर रहे है.