Kottankulangara Festival: इस मंदिर की अनोखी परंपरा! साड़ी पहनकर पूजा करते हैं लड़के, पहचानने में लोग खा जाते हैं धोखा
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Kottankulangara Festival: इस मंदिर की अनोखी परंपरा! साड़ी पहनकर पूजा करते हैं लड़के, पहचानने में लोग खा जाते हैं धोखा

Kerala Unique Ritualभारत विविधताओं से भरा है. यहां सात वार में नौ त्योहार मनाए जाते हैं. हर त्योहार की अलग परंपरा और मान्यता होती है. ऐसा ही एक त्योहार केरल में मनाया जाता है. जिसमें पुरुष महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर पूजा करते हैं. हर साल की तरह इस बार भी वहां से गजब की तस्वीरें सामने आई हैं.

Kottankulangara Festival: इस मंदिर की अनोखी परंपरा! साड़ी पहनकर पूजा करते हैं लड़के, पहचानने में लोग खा जाते हैं धोखा

Kottankulangara Temple: हर साल मार्च के महीने में केरल (Kerala) स्थित कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर (Chamayavilakku Festival At Sree Devi Temple In Kollam) में चाम्याविलक्कू नामक त्योहार मनाया जाता है. इस आयोजन के दौरान पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनकर पूजा-अर्चना करते हैं. वो महिलाओं की तरह 16 श्रंगार यानी मेकअप करते हैं. सजने संवरने के बाद उनकी सूरत ऐसी हो जाती है कि लोग धोखा खा जाते हैं कि वो महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष हैं. हर साल की तरह इस बार भी ऐसा हुआ. सैकड़ों पुरुष महिलाओं के गेटअप में पूजन करते दिखे. इनमें कुछ तो अपने करेक्टर और गेटअप में इस कदर डूब गए कि उन्हें पहचानना मुश्किल था. जिसके बाद सभी ने मिलकर पूजा पाठ की रस्मों को निभाया. इस बार के त्योहार की तस्वीरें और वीडियोज काफी वायरल हो रहे हैं.

कैसे हुई शुरुआत?

बीते कुछ सालों की तुलना में, इस त्योहार में अपने रिश्तेदारों, परिजनों और दोस्तों के साथ आने वाले पुरुषों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है. पुरुष श्रद्धालुओं की ये संख्या 10 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है. इस आयोजन की मान्यताओं और दंत कहानियों के मुताबिक, इस परंपरा की शुरूआत लड़कों के एक समूह द्वारा की गई थी, जो गायों को पालते थे और लड़कियों के रूप में तैयार होते थे. वो अपनी देवी को फूल और 'कोटन' (नारियल से बनने वाली डिश) चढ़ाते थे. फिर एक दिन देवी एक लड़के के सामने प्रकट हुईं. इसके बाद, देवी की पूजा करने के लिए महिलाओं के रूप में पुरुषों के कपड़े पहनने की रस्म शुरू हुई.

लोकप्रिय परंपरा

इस मंदिर में लगे एक पत्थर को देवता माना जाता है. लोगों का कहना है कि ये पत्थर सालों से आकार में बढ़ रहा है. जब ये अनुष्ठान बेहद लोकप्रिय हो गया है, तो यह विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करता है और उनमें से बड़ी संख्या लोग केरल के बाहर से आते हैं. इस अनुष्ठान में भाग लेने के लिए सबसे शुभ समय 2 बजे से 5 बजे के बीच है. पारंपरिक साड़ी में सजे-धजे पुरुषों को शाम के समय दीपक ले जाते हुए भारी संख्या में देखा जा सकता है. पुरुषों को महिलाओं या लड़कियों के रूप में तैयार होने के लिए दीपक ले जाना पड़ता है, जो किराए पर उपलब्ध हैं, उन्हें अपनी पोशाक लेनी पड़ती है. अगर किसी को मदद की जरूरत है, तो उसकी मदद के लिए यहां ब्यूटीशियन हैं. हर साल की तरह इस बार भी जब ये त्योहार संपन्न हुआ तो हजारों लोग खुशी-खुशी घर लौट गए.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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